बहराइच,NOI। विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2017 को सकुशल सम्पन्न कराये जाने के उद्देश्य से जनपद में गठित मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति की बैठक में प्रभारी अधिकारी एमसीसी/एमसीएमसी पंकज कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रानिक मीडिया पर प्रसारित किए जाने वाले विज्ञापनों के प्रमाणन हेतु आवेदक द्वारा प्रस्तावित विज्ञापन का सत्यापित प्रतिलेख इलेक्ट्रानिक रूप में दो प्रतियों मंे निर्धारित प्रारूप पर प्रसारण की तिथि से दो दिन पूर्व मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। बिना पूर्व प्रमाणन के किसी भी चैनल अथवा सोशल मीडिया पर विज्ञापन प्रसारित नहीं किया जाएगा। जिला निर्वाचन कार्यालय सभागार में आयोजित बैठक में श्री कुमार ने बताया कि कोई भी व्यक्ति किसी भी राजनीतिक विज्ञापन का प्रसारण या पुनः प्रसारण नहीं करेगा जबतक कि ऐसे विज्ञापन विहित विज्ञापन संहिता के अनुरूप न हों अर्थात सक्षम प्राधिकारी से प्रमाणन न प्राप्त कर लिया गया हो। कोई भी केबल आपरेटर या टीवी चैनल किसी ऐसे विज्ञापन का प्रसारण नहीं करेगा जो देश की विधि के अनुरूप न हो एवं जो नैतिकता, मर्यादा एवं भावनाओं या विचारांे को ठेस पहुंचाता हो अथवा जो घृणित, भड़काऊ या दहलाने वाला हो। यदि कोई केबल आपरेटर इसका उल्लंघन करता पाया गया तो केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियम) अधिनियम 1995 की धारा 12 के तहत सम्पूर्ण प्रसारण उपकरण जब्त किया जा सकता है तथा धारा 16 के अधीन अन्य दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। श्री कुमार ने बताया कि सोशल मीडिया पर जारी हाने वाले राजनीतिक विज्ञापन भी पूर्व प्रमाणन के दायरे में आयेंगे और राजनीकि दलों अथवा प्रत्याशियों द्वारा सक्षम प्राधिकारी से पूर्व प्रमाणन कराए बिना प्रसारित नहीं किये जायेंगे। आयोग ने विकीपीडिय, ट्विटर, यूट्यूब, फेसबुक, एप्स, बल्कमैसेज, वाॅयस मैसेज आदि को सोशल मीडिया माना है नाम निर्देशन के प्रपत्र-26 में दाखिल किए जाने वाले शपथ-पत्र में प्रत्येक अभ्यर्थी को अपने सोशल मीडिया एकाउन्ट का ब्यौरा देना अनिवार्य है। तथ्य छिपाने के लिए यह स्वयं जिम्मेदार होगा। सोशल मीडिया में प्रचार पर होने वाले व्यय भी निर्वाचन व्यय माना जाएगा। इसमें अन्य बातों के अलावा विज्ञापनों को कैरी करने के लिए इन्टरनेट कम्पनियों और वेबसाइटों को किए गए भुगतान के साथ-साथ विषय वस्तु के रचनात्मक निर्माण पर होने वाला व्यय, सोशल मीडिया एकाउन्टस को सक्रिय रखने के लिए नियोजित कामदारों की टीम को दिया जाने वाला वेतन और मजदूरियों पर प्रचलनात्मक व्यय आदि शामिल है। आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता के उपबन्ध और समय-समय पर जारी सम्बन्धित अनुदेश अभ्यर्थियों और राजनीतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया पर डाले जाने वाली विषय वस्तु पर भी लागू होंगे। प्रभाारी अधिकारी ने जानकारी दी है कि चुनाव प्रचार के लिए भेजे जाने वाले बल्क एसएमएस की सूचना मिलने पर इसे मुख्य निर्वाचन अधिकारी के संज्ञान में लाया जाएगा तथा सम्बन्धित मोबाइल कम्पनियों से इसके प्रसारण का विवरण प्राप्त करके इस पर होने वाला व्यय अभ्यर्थी के खर्च में शामिल किया जाएगा। यदि कोई एसएमएस आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता हुआ प्रकाश में आता है तो पुलिस द्वारा भारतीय दण्ड संहिता के सुसगंत प्रावधानों, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 तथा निर्वाचनों का संचालन नियम-1961 के अधीन वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। चुनाव प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के साथ ही राजनीतिक प्रकृति के थोक मैसेज भेजने पर भी प्रतिबन्ध लग जायेगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171एच के अनुसार चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी की अनुमति के बिना विज्ञापनों पर किया जाने वाला व्यय निषेध है। यदि विज्ञापन के साथ अभ्यर्थी का प्राधिकार पत्र (आरओ) नहीं है तो प्रकाशक के विरूद्ध अभियोजन की कार्यवाही की जा सकती है। लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 के अधीन सभी विज्ञापनों की पूरी जिम्मेदारी प्रकाशक को लेनी होगी। यदि विज्ञापन अभ्यर्थी की सहमति से प्रकाशित किया जाता है तो इस पर होने वाला व्यय उसके निर्वाचक व्यय मंे शामिल किया जायेगा। धारा 127(क) के अनुसार किसी भी निर्वाचन सम्बन्धी विज्ञापन, पम्लेट आदि के प्रकाशन पर प्रकाशक अथवा मुद्रक का नाम व पता छापना आवश्यक है। ऐसा न करने पर दो वर्ष की सजा और दो हजार रूपये का जुर्माना हो सकता है। कंवर लाल गुप्ता बनाम अमरनाथ चावला (एआईआर 1975 एससी 308) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वार दी गई व्यवस्था के अनुरूप राजनीतिक दलों द्वारा प्रिन्ट अथवा इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रकाशित/प्रसारित कराया जाने वाला विज्ञापन यदि किसी भी अभ्यर्थी/अभ्यर्थियों के समूह के निर्वाचन व्यय से जोड़ा न जा सके तो उस व्यय को सामान्य पार्टी प्रचार पर राजनीतिक पार्टी का व्यय समझा जाएगा और तद्नुसार उस दल के खाते में दर्ज किया जायेगा। निर्वाचन की पूरी प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थी द्वारा किसी मद में व्यय अथवा संस्था को किसी मद में व्यय के लिए दी जाने वाली राशि बीस हजार रूपये से अधिक नहीं होती है तो नगद भुगतान निर्वाचन के प्रयोजन में अभ्यर्थी द्वारा खोले गये बैंक खाते से किया जायेगा किन्तु यह राशि इससे अधिक होने पर इसी खाते से केवल एकाउन्ट पेई चेक/ड्राफ्ट या आरटीजीएस से ही किया जाएगा। मतदान/मतगणना अभिकर्ताओं तथा प्रचार अभियान कार्यकताओं के लिए प्रयुक्त व्यय के मदों की सूची में लन्च, डिनर और हल्के जलपान की दरें अधिसूचित कर दी गयी है। अभ्यर्थी को इन्हे भी चुनाव खर्च में शामिल करना होगा। निर्वाचन क्षेत्र में खोले जाने वाले प्रचार कार्यालयों का किराया, बिजली, शामियाना, फर्नीचर व अन्य साजो-समान का खर्च नामांकन पत्र दाखिल करने की तारिख से अभ्यर्थी के खर्चे में शामिल किया जायेगा। जनपद में धारा 144 लगे होने के कारण कार्यालय खोलने के लिए अभ्यर्थी को सम्बन्धित रिटर्निंग आॅफीसर से अनुमति लेनी होगी। उल्लेखनीय है कि विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2017 के मद्देनज़र राजनैतिक दलों या निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों द्वारा दिये जाने वाले विज्ञापनों के इलेक्ट्रानिक मीडिया में जाने से पहले पूर्वदर्शन, संवीक्षण और सत्यापन के लिए भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार जिला स्तरीय मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति गठित की गयी है। विज्ञापनों के प्रमाणन के लिए गठित कमेटी के प्रमाणन के बाद ही विज्ञापन दिया जा सकेगा। इलेक्ट्रानिक मीडिया में सोशल मीडिया रेडियो आदि भी शामिल हैं। समिति विज्ञापनों का प्रमाणन करने के साथ ही पेड न्यूज़ के मामलों का अनुवीक्षण करेगी। विज्ञापनों के प्रमाणन और पेड न्यूज़ पर रोक लगाने के कार्यो के निष्पादन के साथ ही मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अधीन मीडिया सम्बन्धी विनियमन के प्रवर्तन में सहायता करेगी। मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति सभी प्रकार के मीडिया, समाचार-पत्र, प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, केबल नेटवर्क, इन्टरनेट, मोबाइल नेटवर्क आदि की बारीकी से इस मकसद से जाॅच करेगी कि कोई न्यूज़, पेड न्यूज़ तो नहीं है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में विज्ञापनों का अनुवीक्षण यह देखने के लिए किया जाएगा कि उसे समिति के प्रमाणन के बाद ही प्रसारित किया गया है। प्रिन्ट मीडिया में जारी विज्ञापनों के मामले में यह अनुवीक्षा करेगी कि विज्ञापन अभ्यर्थी की सहमति से दिया गया है।