दीपक ठाकुर
खबर आ रही है कि यूपी में अक्टूबर महीने से स्कूल खोल दिये जायेंगे इसके लिए स्कूल प्रशासन ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं बच्चो के सिटिंग अरेंजमेंट से लेकर उन्हें स्कूल परिसर तक कैसे लाया जाएगा इस बात पर भी मंथन शुरू हो गया है वही दूसरी तरफ बच्चो में भी इस बात को लेकर टेंशन है कि स्कूल कैसे जाएंगे और वहां कैसे पढाई होगी सब डरे हैं लेकिन अगर स्कूल खुलता है तो जाना सबकी मजबूरी होगी अब ऐसे में वो खुद को इस विक्राल आपदा से कैसे बचा पाएंगे ये एक बड़ा सवाल है।
कोरोना को लेकर आज के जो हालात है वो चिंताजनक हैं एक दिन में मरीजों का आंकड़ा 1 लाख तक पार होता जा रहा है यूपी भी अब कोरोना का केंद्र बनता जा रहा है हर घर मे कोई ना कोई किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है सबको कोरोना होने का डर है लाख बचाओ के बाद भी ये बीमारी सबको अपनी आगोश ने लेने पर आमादा दिखाई दे रही है बावजूद इसके हमारी सरकार स्कूल खोलने पर विचार कर रही है ये सुनकर अटपटा ज़रूर लगता है
क्योंकि जब बीमारी की शुरुआत हुई तब इसी सरकार ने हमे बचाने के लिए घरों से निकलने पर पाबंदी लगा दी थी लेकिन इस बीमारी का इलाज ना होने के कारण बचाव के साथ पाबंदी हटा भी ली थी जो एक हद तक सही कदम भी था लेकिन मासूम की जान पर ऐसा जुआ खेलने का क्या मतलब है ये हमारी समझ से परे है।जब आन लाइन स्कूल चल ही रहे हैं जिसके 7 महीने हो भी चुके हैं तो 4 महीने के लिए इतना बड़ा रिस्क क्यों ये जानकर भी के ये बीमारी बच्चो और बुजुर्गों के लिए खतरनाक है इस ओर गंभीरता से विचार होना चाहिए और मेरी राय में तो अभी बच्चो को घर पर ही रहने देना चाहिए आगे जैसी सरकार की मर्ज़ी ।।