नई दिल्ली। देश के प्रमुख निजी बैंकों पर कालेधन को सफेद करने के लगे आरोप को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। सरकार को इस बात की भी चिंता है कि इस घटना से नए निजी बैंकों को लाइसेंस देने की उसकी योजना पर पानी न फिर जाए। केंद्र ने शुक्रवार को पूरे मामले की गंभीरता से जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों से कहा है कि वे इन आरोपों की आंतरिक तौर पर जांच करवाएं और इस महीने के अंत तक रिपोर्ट सौंपे। उस रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय बाहरी एजेंसियों से पूरे मामले की जांच करवाने का फैसला कर सकता है।
गुरुवार को न्यूज पोर्टल कोबरापोस्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिये यह खुलासा किया था कि आइसीआइसीआइ, एक्सिस, एचडीएफसी जैसे बड़े बैंकों में कालेधन को सफेद करने का काम हो रहा है। इसमें यह भी बताया गया कि इन बैंकों की देशभर में फैली शाखाओं में हवाला का काम भी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम हो रहा है। इन आरोपों के सामने आते ही तीनों बैंकों ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
वित्त मंत्रालय के सचिव (वित्तीय सेवा) राजीव टकरू ने बताया कि सरकार इन आरोपों से सकते में है। इनकी जांच सरकारी एजेंसियों से करवाई जा सकती है। फिलहाल, रिजर्व बैंक और मंत्रालय दोनों के स्तर पर सूचनाएं एकत्रित की जा रही हैं। एक बार सच्चाई सामने आ जाए तो यह फैसला किया जाएगा कि आगे क्या कार्रवाई की जानी है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि बैंकों के स्तर पर नियमों की अवहेलना हो रही है। अगर जरूरत महसूस की गई तो बाहरी एजेंसियों से भी जांच करवाई जा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि जांच-पड़ताल में इन बैंकों के खिलाफ मुख्य तौर पर यह देखने की कोशिश होगी कि इन्होंने केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों का पालन किया है या नहीं। वैसे भी कोबरापोस्ट के पास सिर्फ वीडियो रिकॉर्डिग है। उसके पास किसी वित्तीय लेनदेन का रिकॉर्ड नहीं है।