ईओडब्लू की जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष
-लोकायुक्त कर रहे जांच रिपोर्ट का परीक्षण
खास-खास
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-स्मारकों के निर्माण के लिए 42 अरब 76 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपया जारी हुआ
-41 अरब 48 करोड़ 54 लाख 80 हजार रुपए स्मारकों के निर्माण पर खर्च हुए
-14 अरब 10 करोड़ 50 लाख 63 हजार रुपए के दुरुपयोग-बर्बाद करने का उल्लेख ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट में
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ंकिस-किस को ठहराया जिम्मेदार
– तत्कालीन लोकनिर्माण, सिंचाई मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी
– तत्कालीन भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री बाबू ंिसह कुशवाहा
– लोकनिर्माण, राजकीय निर्माण निगम के 25 से अधिक इंजीनियर, भूतत्व एवं खनिकर्म के तीन इंस्पेक्टर, वैज्ञानिक और आधा दर्जन अधिकारी
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निजी क्षेत्र में आरोपित
पत्थरों की आपूर्ति करने वाले पांच दर्जन से अधिक कंसोर्टियम के सदस्य, पत्थरों को तराशने वाले राजस्थान, मिर्जापुर और लखनऊ की कम्पनियां
बसपा सरकार में नोएडा व लखनऊ में बने स्मारकों के निर्माण में बार-बार की तोड़फोड़, ऊंची कीमतों पर पत्थरों की खरीद और उनको तराशने पर बेशुमार धन खर्च करने से राज्य सरकार को 14 अरब 10 करोड़ से अधिक रुपए का नुकसान हुआ, जिसके लिए तत्कालीन सरकार के दो मंत्री, कई इंजीनियर, भूतत्व खनिकर्म के अधिकारी और निजी क्षेत्र की कम्पनियां जिम्मेदार थी। यह निष्कर्ष है लोकायुक्त को भेजी गई ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा) की रिपोर्ट का। इस रिपोर्ट के आधार पर लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने जांच की दिशा तय करने का कार्य शुरू कर दिया है।
बसपा शासनकाल में दलित एवं पिछड़े वर्ग के महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों में घोटाले की जांच समाजवादी पार्टी की सरकार ने लोकायुक्त को सौंप रखी है। उनके आधीन विवेचना कर रही ईओडब्ल्यू ने कुछ दिन पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें स्मारकों के लिए धन आवंटित करने से लेकर उसके निर्माण पर खर्च और धन के दुरुपयोग का बिन्दुवार उल्लेख है। सूत्रों का कहना है कि जांच रिपोर्ट में बिजली उपकरणों की खरीद-फरोख्त के बिन्दुओं का गहराई से उल्लेख नहीं किया गया है फिर उसकी ओर से निकाले गए निष्कर्ष में अरबों के रुपए के हेरफेर का उल्लेख है। सूत्रों का कहना है कि ईओडब्ल्यू ने रिपोर्ट में 28 बिन्दुओं का उल्लेख किया है।
रिपोर्ट की पड़ताल कर रहे लोकायुक्त का कहना है कि वित्तीय गड़बड़ियों के लिए दो पूर्व मंत्रियों, पीडब्ल्यूडी, राजकीय निर्माण निगम, भूतत्व एवं खनिकर्म महकमे के इंजीनियरों को आरोपित किया गया है। निजी क्षेत्र की कम्पनियों को भी दोषी पाया गया है। रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा रहा है। वित्तीय आरोपों का प्रतिष्ठित चाटर्ड एकाउंटेन्ट से सत्यापन भी कराने पर विचार किया जा रहा है। जिसके आधार पर आगे की जांच की दिशा तय की जाएगी।