सीतापुर-अनूप पाण्डेय, राकेश पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर हरगांव मामला स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगाने का है जिसमें ग्राम पंचायत सचिवों की सरकारी धन को सीधे सीधे निकाल कर बन्दर बाँट करने की मंशा साफ नजर आ रही है।ग्राम पंचायत सिकन्दरपुर में सेक्रेटरी ने शौचालयों में बड़े पैमाने पर हेर फेर करते हुए सरकारी धन का गबन किया है।जिसमें लगभग दो दर्जन शौचालय बनाये ही नहीं गए जबकि पैसा निकाल लिया गया।बनाये गये शौचालयों में लगभग तीन दर्जन शौचालयों को बनाने में खाली खाना पूरी कर सरकारी धन जो पात्रों को सुविधा देने के लिए था उसमें घाल मेल किया गया।
एक एक घर के कई कई लोग लाभार्थी बनाये गए उनके नाम पर पैसा निकाला गया , जबकि शौचालय केवल एक ही बनाया गया।भृष्टाचार से जुड़े ऐसे सचिव धनंजय कुमार को खण्ड विकास अधिकारी ने ए. डी.ओ. पंचायत का अतिरिक्त प्रभार देकर नवाजा है। जो हैरान करने वाला है।
ज्ञात हो कि इस गांव को जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी के समय जब ओ डी एफ घोषित किया गया था।तब जिलाधिकारी स्तर के अधिकारियों ने गांव पहुंच कर लोगों को सम्मानित किया था।बनवारी पुत्र छंगा व कपिल पुत्र बनवारी दो नाम पर पैसा निकाला गया जबकि शौचालय एक ही बनवाया गया।ऐसे ही छोटी पत्नी सियाराम,राजेश पुत्र सियाराम व सियाराम पुत्र उमराव सहित परिवार के तीन लोगों के नाम पर पैसा निकाला गया जबकि शौचालय एक ही बनाया गया।ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं।जबकि राधिका पत्नी अखिलेश जमील पुत्र लतीफ, मिठाना पत्नी जीवन,मूलचन्द पुत्र रामदीन,नूरजहां पत्नी नबी अहमद,रघुनाथ पुत्र माया राम, राजेश पुत्र जगदीश राकेश पुत्र सियाराम, श्रीकान्त पुत्र मूलचन्द्र, श्यामा पत्नी बाल गोविन्द, आदि दर्जनों लाभार्थियों के नाम पर पैसा निकाल लिया गया।जबकि शौचालय कहीं नहीं बनाए गए।
उक्त मामला जिले के अधिकारियों के संज्ञान में आने पर खण्ड विकास अधिकारी ने ए. डी.ओ. आई एस बी को जांच सौंपी है। वह भी जांच को दबाये बैठे हैं। मामले की जांच के रसूखदार सचिव के प्रभाव के आगे जीरो होने के पूरे आसार हैं।कहीं से ठीक से जवाब नही मिल पा रहा।
प्रमोद कुमार पुत्र भगीरथ से शौचालय तो बनवा लिया गया जबकि पैसा नहीँ दिया गया।जबकि गांव के राधेश्याम के पत्नी व पुत्रों सहित क्रमशः शैलेन्द्र, वीरेन्द्र, सुरेन्द्र एवम ऊषा देवी पत्नी राधेश्याम के चार शौचालय बनाये गए जिनमें गड्ढा ढक्कन,सीट कुछ भी नहीं है केवल दीवार उठाकर पुताई करवा कर नाम अंकित कराया गया है।इसी प्रकार गांव में सरकारी धन का बंदरबांट बड़े पैमाने पर किया गया है। अगर उच्च स्तरीय जांच कराई जाय तो इस भृष्टाचार की कलई खुल सकती है। गांव में दो सौ तेइस शौचालय का पैसा निकाला गया जिसमें दर्जनों शौचालयों के बिना बनवाये ही कागजी कार्रवाई की गई।
जबकि बनवाये गए दर्जनों शौचालयों में केवल खाना पूरी की ही है।इस बाबत जानकारी होने पर जनपद स्थित अधिकारियों की ओर से शौचालय पूर्ण कराने की नोटिस दी थी जिस पर सेक्रेटरी ने 28-05-2020 को शौचालयों को पूर्ण करा दिया गया है ऐसी गुमराह करने वाली रिपोर्ट खण्ड विकास अधिकारी हरगाॅव को सौंपी थी।
सूत्रों के अनुसार सेक्रेटरी धनन्जय कुमार की अन्य ग्राम पंचायतों में भी भृष्टाचार से जुड़े मामले उठ रहे हैं जिससे इनकी कार्यशैली सवालों के घेरे में है।वो चाहे पशु बाड़े का मामला हो या शौचालयों का । इस सम्बन्ध में खण्ड विकास अधिकारी हरगाॅव ने बताया, कि जांच चल रही है रिपोर्ट प्राप्त होने पर सम्बन्धित के विरुद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।