सीतापुर-अनूप पाण्डेय,सरोज तिवार/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर स्वास्थ्य विभाग मिलीभगत से लगातार मेडिकल स्टोर पर चिकित्सालय जनपद में 60% से ज्यादा क्लीनिक जिनको खुलेआम संरक्षण स्वास्थ्य विभाग दे रहा है. सूत्रों की मानें तो महीने की मोटी रकम स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों के जेब में जाती है।
जब की साशन को सीतापुर से डिलीवरी के केसों में लगातार कमी आ रही है इसी संबंध में कुछ दिन पूर्व में जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी ने एक बैठक का आयोजन किया जिसमें सभी प्राइवेट चिकित्सालय के डॉक्टरों को बुलाकर डिलीवरी संबंधित सभी के डिलवरी केश की रिपोर्ट प्रेषित करने को कहा मगर डिलीवरी के केस की रिपोर्ट वही दे सकते हैं जो रजिस्टर्ड हैं मगर सीतापुर में ऐसे काफी नर्सिंग होम भी संचालित हो रहे हैं जो बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं और उनके यहां धड़ल्ले से डिलीवरी के केस आशाओं द्वारा लिए जाते हैं।
जब इस संबंध में मीडिया टीम ने पड़ताल किया तो सभी परतें दर परते खुलने लगी आपको बताते चलें सीतापुर जनपद में लगभग 60% फर्जी क्लीनिक व मेडिकल स्टोर पर चिकित्सक बनकर ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं मगर यहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक वर्मा अपने आंखों कानों पर पट्टी बांध रखी है न देखना चाहते हैं न सुनना चाहते हैं अगर मीडिया कर्मी इस संबंध में बा करते है तो नोडल अधिकारी का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते है । जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कहीं ना कहीं इनका भी संरक्षण झोलाछाप डॉक्टरों पर मेहरबानी बरकरार है। ऐसा ही कुछ मामला सिधौली के मनवा चौराहे पर अंसारी मेडिकल स्टोर पर देखने को मिला जहां पर दूसरे की लाइसेंस में मेडिकल स्टोर चलाना और ग्रामीणों को चिकित्सक बनकर दवा करना इंजेक्शन लगाना और तो और सूत्र बताते हैं कि यहां पर गर्भपात से लगाकर डिलीवरी भी कराई जाती हैं अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि यह सब सीएचसी अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मालूम होते हुए भी इन पर कार्यवाही नहीं की जाती है और कुछ समय पहले एक झोलाछाप डॉक्टर के इंजेक्शन लगाने से 7 वर्षीय मासूम लड़की की मौत भी हो गई थी मगर स्वास्थ्य विभाग कुंभकरण की नींद में सोया हुआ है ना उसे दिखाई पड़ रहा है और ना सुनाई क्योंकि रुपयों की मोटी पट्टी बांध रखी है