28 C
Lucknow
Sunday, September 8, 2024

स्‍मृति इरानी को नया मंत्रालय मिलने के पीछे की पूरी कहानी



नई दिल्ली। पिछला हफ्ता राजनीति के लिहाज से काफी व्यस्त रहा। एक तरफ जहां राष्ट्रपति के चुनाव हुए, तो सत्तारूढ़ पार्टी ने अपने उपराष्ट्रपति उमीदवार की भी घोषणा की। इन सब के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी की बड़ी वापसी की खबर को मीडिया में कुछ खास जगह नहीं मिली। स्मृति इरानी को मानव संसाधन जैसे अहम मंत्रालय से हाथ धोने के बाद, उन्हें एक तकरीबन एक साल बाद एक बार फिर से बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्मृति इरानी को एक बार फिर सूचना और प्रसारण जैसे बड़े मंत्रालया का एडिशनल चार्ज दिया गया है।

विवादों से खुद को रखा दूर

स्मृति इरानी का एक हाई प्रोफाइल माने जाने वाले मंत्रालय में वापसी के पीछे उनके अपनी गलतियों से सीखे हुए पाठ, पश्चाताप और दोबारा मिलने वाले मौकों की ढेरों कहानियां छुपी हुई हैं। सरकार के बड़े सूत्र ने बताया की उनकी वापसी के बीज उस वक्त ही बोए जा चुके थे जब उनको एचआरडी मंत्रालय से इस्तीफा देना पड़ा था। सरकार के उच्च स्तरीय सूत्र के अनुसार उनको हमेशा से ही जल्दी सीखने वाला माना जाता रहा है इसीलिए उनको एचआरडी मंत्रालय भी सौंपा गया था। रोहित वेमुला की आत्महत्या से लेकर जेएनयू विवाद के अलावा उनके लड़ाकू रवैए के कारण सरकार की छवि ख़राब हुई थी। यही नहीं तमाम शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों की नियुक्ति मात्र एक आपसी प्रतियोगिता के सामान रह गई थी। इन्हीं वजहों से उनसे एचआरडी मंत्रालय छीन लिया गया था। हालांकि उनको टेक्सटाइल मंत्री बनाए जाने के कारण उनका कैबिनेट पद फिर भी सुरक्षित रहा। इस बात का इशारा साफ था कि उनका यह डिमोशन स्थाई नहीं था।

खुद को किया साबित
बतौर टेक्सटाइल मंत्री उनका बीता हुआ साल काफी अलग रहा। हर रोज़ की टीवी डिबेट्स से अब वह दूर हो गई थीं। ट्विटर पर भी उनकी छवि नीरस और सादी पड़ती जा रही थी। पर इन सब के बावजूद उन्होंने अमेठी जाना नहीं छोड़ा जहां से उन्होंने 2014 में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
सोशल मीडिया पर चलाया अभियान
सरकार के एक बड़े सूत्र ने बताया कि टेक्सटाइल ऐसा मंत्रालय नहीं है जिससे लोगों से ज्यादा संवाद किया जा सके फिर भी स्मृति इरानी ने सोशल मीडिया पर कुछ सफल अभियान चलाए, जैसे आईवियरहैंडलूम अभियान जो 3 दिन तक लगातार सुर्खिययों में रहा और 6 करोड़ लोगों तक पंहुचा। इसी की तरह 8 घंटे लगातार ट्रेंड हुए #कॉटनइजकूल अभियान को भी उन्होंने सफल बनाया। यह एक फील गुड अभियान था जिसके कारण स्मृति इरानी ने अपनी पुरानी छवि को बदलने की एक सफल कोशिश की।
टेक्सटाइल मिनिस्ट्री में दिखाया दम
स्मृति इरानी के प्रमोशन के आसार उसी समय से दिखने लगे थे जब उन्होंने गुजरात में एक टेक्सटाइल मंत्रालय की समिट आयोजित कराई थी और प्रधानमंत्री स्वयं उसमे शरीक हुए थे। एक सूत्र ने बताया की भले ही सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी के खिलाफ बड़े प्रदर्शन किए हों पर इस बार स्मृति इरानी उसका केंद्र बिंदु नहीं बनीं जोकि उनके पुराने मंत्रालय के रिकॉर्ड के बिल्कुल विपरीत बात थी। अटकलें लगाई जा रही हैं कि संसद के मॉनसून सेशन के बाद प्रधानमंत्री अपने कैबिनेट में फेरबदल करने वाले हैं जिसमें नए रक्षा और पर्यावरण मंत्री चुने जाएंगे। स्मृति इरानी सूचना और प्रसारण मंत्री कब तक रह पाती हैं ये तो वक्त ही बताएगा पर उनकी इस राजनीतिक सफलता को हम सब नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें