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Monday, January 13, 2025

हर माँ को हो अहसास, कि वह है सबसे खास है……

हर माँ को हो अहसास, कि वह है सबसे खास है और उसका ख्याल रखना हम सभी की ज़िम्मेदारी है ……..

बहराइच:(अब्दुल अजीज)NOI:- गर्भावस्था महिला के जीवन की एक स्वाभाविक घटना है, इस अवस्था मे माँ की देखभाल और सहयोग की ज़िम्मेदारी सिर्फ उसके परिवार और स्वास्थ्य विभाग की न होकर पूरे समाज की है, डॉ अंजू श्रीवास्तव चिकित्सा अधीक्षक महिला अस्पताल कहती हैं कि गर्भधारण एक अवस्था है और यह कोई बीमारी नहीं है। समाज के सभी व्यक्ति को यह अहसास होना चाहिए कि इस अवस्था मे माँ सबसे खास है और उसका ख्याल रखना हम सभी की ज़िम्मेदारी है फिर चाहे वह हमारे परिवार की हो या किसी दूसरे परिवार की।
गर्भावस्था से लेकर प्रसव या उसके पश्चात तक कई ऐसी अवस्थाएँ होती हैं जब इन्हे देखभाल और सहयोग की आवश्यकता होती है। लगभग 326 दिन की इस यात्रा मे सार्वजनिक तौर पर दी जा रहीं सुविधाओं अथवा सार्वजनिक स्थलों पर आई ऐसी महिलाओं को प्राथमिकता देकर हम इनकी मदद कर सकते हैं। इस मुद्दे पर डॉ मोहिनी गोयल प्रिन्सिपल महिला पीजी कालेज बहराइच का मानना है कि इस चुनावी समय मे पोलिंग बूथ बनाते समय गर्भवती महिला, धात्री महिला का ध्यान रख, मतदान स्थल पर उनके बैठने, पीने का पानी और प्राथमिक चिकित्सीय सुविधा देकर हम उनकी यात्रा को आसान बना सकते हैं। हर संभव प्रयास हो कि मतदान के समय लगी लंबी कतारों मे ऐसी महिलायेँ सबसे पहले अपने मत का प्रयोग सकें।पड़ोसी अथवा परिवार के सलाहकार होने के नाते हमारी भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं होती । सही सलाह, समय पर की गयी मदद से किसी भी अंजान खतरे को टाला जा सकता है। विशेषज्ञों की माने तो गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार और पर्याप्त आराम, माँ और गर्भ मे पल रहे शिशु को स्वस्थ रखने मे सहायक होते हैं। ऐसी स्थिति मे घर पर रहने वाली, काम पर जाने वाली या मजदूरी कर रही महिलाओं को पौष्टिक आहार लेने और आराम के लिए थोड़े-थोड़े समयांतराल पर अवकाश मिलना चाहिए।इसी संदर्भ में महिला पुलिस अफसर नीलम उपाध्याय थाना अध्यक्ष महिला थाना बहराइच कहती हैं कि इस अवस्था मे महिलाओं का खास ख्याल रख कर हमे उनकी मदद करनी चाहिए, चाहे वह थाने के अंदर ड्यूटी कर रही महिला सिपाही हो या समाज मे कहीं भी किसी भी रूप मे हों। उनके पर्याप्त आराम और खान पान का विशेष ध्यान रखना हम सब की ज़िम्मेदारी है।गर्भवती माँ, प्रसव पीड़ा के समय अवश्यकता पड़ने पर महिला पुलिस की मदद भी ले सकती है। सरकारी अथवा गैर सरकारी किसी भी सुविधा केंद्र का निर्माण करते समय ऐसी महिलाओं का ध्यान रख हम उनका सहयोग कर सकते हैं। सार्वजनिक स्थलों, प्रतीक्षालयों मे विशेषकर स्तनपान कराने का स्थान (फीडिंग कार्नर) बनाकर हम उनकी चुनौतियों को कम कर सकते हैं।इसीतरह बुध जीवी अधिवक्ता कृष्ण मोहन श्रीवास्तव अध्यक्ष जिला बार एसोशिएशन बहराइच का मानना है कि न्यायालय की शरण मे आई ऐसी सभी महिलाओं के बैठने की अलग से व्यवस्था के साथ साथ उनके मुकदमों को प्राथमिकता देनी चाहिए। समाज के सभी बुद्धिजीवी वर्ग को इस मामले मे वकालत करनी चाहिए, जिससे उन्हे किसी भी प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक प्रताड़ना का शिकार न होना पड़े। प्रत्येक दशा मे हम सभी को उनकी सहायता के लिए आगे आकार यह अहसास दिलाना चाहिए कि वह हम सबके लिए सबसे खास हैं ।

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