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Wednesday, September 18, 2024

हाई कोर्ट के फैसले में टाइपिंग की गलती से रिहा हुआ कैदी, गलती पकड़ने पर फरार



नई दिल्ली।डबल मर्डर के एक मुलजिम को पिछले साल दिसंबर में हाई कोर्ट की डबल बेंच के ऑर्डर के बाद रिहा कर दिया गया। इस साल 14 फरवरी को हाई कोर्ट की उसी बेंच ने ऑर्डर दिया कि रिहाई का ऑर्डर टाइपिंग की गलती थी। दूसरा ऑर्डर आते ही मुजरिम फरार हो गया। अब स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच उसकी तलाश कर रही है।

जितेंद्र उर्फ कल्ला 16 साल 10 महीने से तिहाड़ जेल में बंद था। 2003 में उसे सजा सुनाते हुए सेशन जज ने ऑर्डर में लिखा था कि जेल से उसकी रिहाई के बारे में 30 साल से पहले विचार नहीं किया जाएगा। उसके वकीलों ने हाई कोर्ट में अपील की। उसके वकीलों ने उसे हत्यारा ठहराए जाने के ऑर्डर को चैलेंज नहीं किया, बल्कि उसकी सजा के सालों को बहुत ज्यादा बताते हुए सजा को चैलेंज किया।

अपील की सुनवाई पूरी करने के बाद हाई कोर्ट की डबल बेंच के जज जस्टिस जीएस सिस्तानी और जस्टिस संगीता धींगड़ा सहगल ने पिछले साल 24 दिसंबर को ऑर्डर दिया। इस ऑर्डर में लिखा है, ‘हमारा विचार है कि इंसाफ के लिए 30 साल की शर्त हटाना जरूरी है। इसलिए हम सजा के पीरियड पर ऑर्डर में बदलाव करते हुए उसे अपीलकर्ता के जेल में बिताए वक्त यानी 16 साल 10 महीने करते हैं।’

आदेश में यह भी लिखा गया, ‘अपीलकर्ता को गुनहगार ठहराने के ट्रायल कोर्ट के जजमेंट को कायम रखते हुए सजा में बदलाव किया जा रहा है। अगर अपीलकर्ता की जरूरत किसी दूसरे केस में न हो तो उसे रिहा कर दिया जाए।’ इस ऑर्डर के बाद वजीरपुर निवासी जितेंद्र उर्फ कल्ला निवासी वजीरपुर को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया।

हाई कोर्ट की उसी डबल बेंच ने 14 फरवरी को एक और आदेश जारी किया। उसमें लिखा गया कि 24 दिसंबर के जजमेंट के बाद उसमें टाइपिंग की गलती नोटिस की गई। उस गलती का सुधार करते हुए अप्रासंगिक वाक्य को डिलीट किया जा रहा है। डिलीट किए वाक्य हैं- ‘अपीलकर्ता के जेल में बिताया हुआ समय यानी 16 साल 10 महीने’ और ‘अगर किसी दूसरे केस में अपीलकर्ता की जरूरत न हो तो उसे रिहा कर दिया जाए।’

इसके साथ ही डबल बेंच ने जरूरी कार्रवाई के लिए इस ऑर्डर की कॉपी सेंट्रल जेल के सुपरिन्टेंडेंट को भेजने का आदेश दिया। इसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच की टीमें जितेंद्र उर्फ कल्ला की तलाश में जुट गई हैं। पुलिस के मुताबिक, ‘हाई कोर्ट के दूसरे आदेश के बाद जितेंद्र उर्फ कल्ला फरार हो गया है।’

केस के मुताबिक, जितेंद्र उर्फ कल्ला ने 25 साल की उम्र में 10 मार्च 1999 को केशवपुरम थाना इलाके में विजय शर्मा की शादी के रिसेप्शन में आए गेस्ट अनिल भड़ाना को गोली मार कर उसका मर्डर कर दिया था। अनिल एक केस में जितेंद्र के खिलाफ गवाह थे। अनिल को गोली मारने की खबर पीसीआर को उसके दोस्त सुमित नैयर ने दी थी।

जितेंद्र उसी रात 12:30 बजे मुखर्जी नगर में सुमित नैयर के घर पहुंच गया। वहां सुमित तो उसे नहीं मिला, लेकिन उसके पिता कीमती लाल नैयर मिल गए। जितेंद्र ने तीन गोलियां मार कर उनका भी मर्डर कर दिया। 23 जनवरी 2000 को नारायणा में क्राइम ब्रांच ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

हैदरपुर के डीडीए पार्क में पेड़ के पास जमीन खोद कर जितेंद्र की लाइसेंसी पिस्टल बरामद कर ली गई। जम्मू से लाइसेंस लेने के बाद जितेंद्र ने बहादुरगढ़ से वह पिस्टल खरीदी थी। बैलेस्टिक एग्जामिनेशन में रिपोर्ट आई कि अनिल भड़ाना और कीमती लाल नैयर के शवों से मिली गोलियां उसी पिस्टल से चली थी। उसके बाद सेशन जज कामिनी लॉ ने जितेंद्र उर्फ कल्ला को सजा सुनाई थी।

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