इंदौर। मुस्लिम समाज ने सड़कों के विकास के लिए कनाडिय़ा रोड स्थित मस्जिद की जमीन प्रशासन को दी और इसके बाद दूसरी जगह जमीन मांगी। प्रशासन ने मुस्लिम समाज की इस मांग पर पास में रह रहे हिंदू समाज के परिवार का घर हटाकर वहीं पर मस्जिद के लिए जमीन देने की तैयारी कर ली।
अंतिम समय में खुद मुस्लिम समाज ने इसका विरोध किया और कहा कि हम यह नहीं कर सकते। यह परिवार यहां 50 साल से रह रहा है और सब यहीं पर धंधा पानी करते हैं। बरसों से रह रहे परिवार को हटाकर इबादतगाह बनाना ठीक नहीं होगा। हिंदू परिवार को बर्बाद कर उसकी बद्दुआ लेकर हम मस्जिद नहीं बनाएंगे। वहीं प्रशासन का मानना है कि भले ही यह लोग यहां कितने भी सालों से रह रहे हों लेकिन यह घर अतिक्रमण में आते हैं इसलिए इन्हें हटाकर मस्जिद को इसकी जगह दी जा सकती है।
इस मस्जिद के पास बसे हिंदुओं का घर हटाकर मस्जिद को जगह देने की थी तैयारी
कनाडिय़ा रोड स्थित मस्जिद के विस्थापन को लेकर मुस्लिम समाज ने अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने हिंदू भाईयों का घर तोड़कर वहां मस्जिद बनाने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वह परिवार वहां बरसों से रह रहा है, उससे जमीन छीनकर इबादतगाह बनाना ठीक नहीं। मस्जिद कमेटी का कहना है, ‘हिंदू परिवार को बर्बाद कर उसकी बद्दुआ लेकर मस्जिद नहीं बनाना।Ó उन्होंने अपनी भावना अफसरों के सामने भी रखी है। मस्जिद के पास मालवीय परिवार का घर 50 साल से भी ज्यादा पुराना है। जिसमें तीन भाई के परिवार रह रहे हैं।
घर के दस्तावेज भी उनके पास मौजूद हैं। तीन भाइयों का परिवार इसी घर में रहकर दुकान के जरिए रोजगार पाता था। सड़क चौड़ीकरण के दौरान नगर निगम ने उनके घर का काफी हिस्सा टूटा था। बची जमी पर वे अपना घर बना रहे हैं, लेकिन निगम नहीं बनाने दे रहा। जिला प्रशासन और नगर निगम ने मस्जिद को इस घर की जगह विस्थापन करने की तैयारी कर ली है। मालवीय परिवार का कहना है, उनकी जमीन को प्रशासन सरकारी जमीन बता रहा है, जबकि पूरा संविदनगर, कनाडिय़ा रोड व विनोबानगर सरकारी जमीन पर ही बसा है। मस्जिद की जगह भी सरकारी है, तो फिर हमारी जमीन को लेकर हमें रोजगार और घर से मोहताज क्यों किया जा रहा है? वहीं मस्जिद से जुड़े सभी लोगों का कहना है, बगैर इन परिवारों का दिल दुखाकर उनकी जमीन पर मस्जिद नहीं बना सकते। ये इस्लाम के भी खिलाफ होगा। मस्जिद कमेटी के सदर अब्दुल रशीद ने कहा, हमने प्रशासन को कहा है कि मस्जिद के लिए मालवीय परिवार की जमीन देने के पहले उन्हें कहीं बेहतर जगह विस्थापित करें, उसके बाद ही हम ये जमीन ले पाएंगे।
बता चुके समाधान
मस्जिद कमेटी ने निगम और प्रशासन को बगैर पड़ोसी की जमीन लिए ही मस्जिद बनाए रखने का समाधान पहले ही सुझाया था। कमेटी आगे की दुकानों और वजूखाने की जमीन निगम को देने के लिए तैयार है। केवल नमाज के लिए जमीन का कुछ हिस्सा टूट रहा है, उसे छोड़ दें। वहीं बची हुई जमीन पर मस्जिद कमेटी तीन मंजिला मस्जिद तामिल कर लेगी। वहीं मस्जिद की जो दुकानें टूट रही हैं, उन्हें कहीं और स्थान दे दें। ताकि मस्जिद की आय हो सके। महज 8 फीट के लिए निगम तीन परिवारों को उजाडऩे में लगा हुआ है।
हाई कोर्ट के आदेश में नहीं है विस्थापन
कनाडिय़ा रोड को लेकर मस्जिद कमेटी ने हाई कोर्ट में मस्जिद नहीं तोडऩे की अपील की थी। उस पर कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में भारतीय संविधान की बात रखते हुए कहा था, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां बाधक सभी धार्मिक स्थलों को बगैर भेदभाव के निगम हटाए। आदेश में किसी भी धार्मिक स्थल का विस्थापन करने का कोई जिक्र नहीं है।
तीसरी बार ली जा रही है जमीन
मालवीय परिवार के घर की जमीन तीसरी बार ली जा रही है। 90 के दशक में सड़क चौड़ीकरण के दौरान उनके घर का 14 फीट हिस्सा तोड़ा था। इसके बाद उनके पास 1800 वर्गफीट जमीन बची थी। निगम ने 2015 में मुहिम चलाई तो तीनों भाइयों के लिए 900 वर्गफीट जमीन ही बची। इनमें से एक भाई की मौत होने के बाद उनकी पत्नी और बच्चों के लिए ये जमीन ही सब कुछ है।
हमें डराया जा रहा है
मस्जिद कमेटी हमारी जमीन नहीं लेना चाहती। अब प्रशासन डरा रहा है कि हमें सबको हटाना आता है। गणेशगंज में हटाया है तो आपको भी हटा देंगे।
– लक्ष्मी मालवीय, प्रभावित
प्रशासन लेगा फैसला
हमने प्रशासन से दुकानों की जमीन लेकर बाकी जगह छोडऩे को कहा है। हमें और जमीन की जरूरत नहीं है। फैसला प्रशासन को लेना है।