लखनऊ, दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में इस बार अखिलेश काफी डरे डरे से नज़र आ रहे हैं। यहाँ तीन चरण के मतदान हो चुके हैं और ये डर उन्हें पहले चरण के बाद कुछ ज़्यादा ही सताने लगा है जिस डर का उल्लेख वो अपनी हर चुनावी जन सभा में भी करते रहते है उनके डर की वजह है उनकी राजनैतिक बुआ यानी बसपा सुप्रीमो बहन मायावती।।
इस बार यूपी के चुनाव में हर हाल में जीत हासिल हो ये सोचकर अखिलेश ने राहुल गांधी से चुनाव पूर्व ही गठबंधन कर लिया हालांकि वो इस गठबंधन को महा गठबंधन का रूप देने वाले थे पर कुछ लोगों से दिल मिल नहीं पाए तो फिलहाल कांग्रेस के हाथ को साईकिल का हैंडिल थमा कर चुनाव में कूद पड़े।
इसके बाद अखिलेश को लगा की अब काफी हद तक गेंद उनके पाले में रहेगी और वो सरकार बनाने में कामयाब रहेंगे फिर चुनावी कहानी में एक और मोड़ आया वो ये की अखिलेश की बुआ यानी मायावती को समर्थन करने वालों की होड़ सी मच गई ये देख अखिलेश को लगने लगा की अब तो बुआ फिर से उनकी राह मुश्किल कर सकती हैं अब क्या किया जाए कैसे दूर किया जाए मिशन यूपी का रोड़ा क्योंकि उनका मानना है कि भाजपा नोट बंदी के चक्कर में मैदान से बाहर होगी पर बुआ के साथ से वो सत्ता में काबिज भी हो सकती है तब अखिलेश ने सीधे जनता से संपर्क साधने में ही अपनी भलाई समझी।
उसके बाद अखिलेश ने जितनी भी चुनावी जनसभा की सब में यही कहा कि जनता उनकी बुआ से सावधान रहे क्योंकि वो रक्षाबंधन में बहुत विशवास करती है। और अगर ऐसा फिर हुआ तो भाजपा को सत्ता से दूर रखने का मंसूबा नेस्तोनाबूत हो जायेगा। इसलिए अखिलेश जनता को आगाह कर रहे हैं कि अगर आप भाजपा के विरोधी हैं तो बसपा का भी बाइकाट कीजिये क्योंकि ये दोनों मिल के कुछ भी कर सकते हैं।
हालांकि फिलहाल तो बसपा और भाजपा दोनों ये बात साफ़ कर चुकी हैं कि विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे पर रक्षाबंधन नहीं मनाएंगे पर राजनीति में कब क्या हो जाये ये कहा नहीं जा सकता और यही वो वजह है कि अखिलेश बुआ से डरे डरे नज़र आ रहे हैं।।।