लखनऊ, दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश के चुनावी राण में इस बार मोदी के वारो का तीखा दौर जारी है जिस पर अखिलेश की सफाई भी जवाबी तौर पर नहीं बल्कि सवालों के रूप में दी जा रही है। आजकल जो सवाल सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है वो है कब्रिस्तान बनाम शमशान जिस पर अखिलेश ने आक्रामक रुख में जवाब ना दिया हो पर इस कमी को पूरा करने में उनकी राजनैतिक बुआ बहन मायावती ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
हालांकि मोदी हो या अमित शाह सब प्रदेश सरकार पर निशाना साध रहे है पर सबके सवालों के जवाब मायावती दे रही हैं वो भी सख्त रुख अपनाते हुए कब्रिस्तान और शमशान वाली बात का जवाब मायावती ने ये दिया की पहले बीजेपी बताये की जिस जिस राज्य में उसकी सत्ता हैं वहां इस पर क्या क्या काम किये गए हैं वही बिजली की बात को भी उन्होंने सिरे से नकारते हुए बीजेपी पर ही आरोप जड़ दिए की वो जातिगत राजनीत पर आमादा हो गई है वो भी सिर्फ दिखावे के लिए अगर बीजेपी में मुस्लिम समुदाय का दर्द होता तो अपनी पार्टी से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार क्यों नहीं उतारा।
हालांकि बहन जी भजपा को लेकर काफी तीखे हमले करती आ रही है नोट बंदी से जारी उनकी नाराज़गी फिलहाल कम होती नज़र नहीं आ रही है पर यहाँ ये बात समझ नहीं आ रही की अखिलेश पर उठे सवालों के जवाब वो क्यों दे रही हैं क्या जिस तरह अखिलेश उनको बुआ मानते हैं उसी तरह बहन जी भी उन्हें अपना भतीजा मानने लगी है या फिर बसपा सुप्रीमो ये मानती है कि यूपी चुनाव में अगर उनकी पार्टी को किसी से खतरा है तो वो सिर्फ बीजेपी से ही है।
अब वजह चाहे जो हो पर यूपी की सियासत इस बार कुछ अलग ही अंदाज़ में नज़र आ रही है होड़ सत्ता पाने की तो है पर कौन निशाने पर है और किसको निशाना बनाया जा रहा है ये साफ़ नहीं हो पा रहा है सवाल सपा की ओर उठते हैं तो जवाब बसपा से आता है। वजह क्या है ये थोड़ा तो साफ़ है पर थोड़े के लिए थोड़ा इंतज़ार है।।।