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Saturday, January 18, 2025

​अखिलेश बोले, पापा अब भी कहते हैं बेटा बड़ा नाम करेगा

फादर्स डे नजदीक है। हर व्यक्ति के जीवन में पिता का अहम रोल होता है। हर कोई अपने तरीके से अपने पिता को याद करता है। इस मौके पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव याद आते हैं। उनकी पार्टी चुनाव हार गयी। इसका सबसे बड़ा कारण उनका अपने पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव से मनमुटाव माना जाता है। लेकिन, असलियत में ऐसा नहीं है। पिता-पुत्र के बीच अगाध स्नेह और प्यार और सम्मान है। अखिलेश आज भी अपनी सफलता के लिए अपने पिता को पूरा श्रेय देते हैं। वे कहते हंै कि इस बार हम भले हार गए हों, लेकिन पापा (मुलायम सिंह यादव यानी नेताजी) को आज भी यह पूरा विश्वास है कि उनका बेटा आगे बड़ा नाम करेगा। अखिलेश यादव ने यह बात एक बार नहीं कई बार कही है। वे कहते हैं उन्होंने पिता मुलामय सिंह यादव से बहुत कुछ सीखा है। वे दोहराते हैं मैं फिर सफल होऊंगा और पापा को दिखाऊंगा कि कैसे उनका बेटा उनके सपनों को साकार कर रहा है।पिता को खुश देखना चाहते हैं अखिलेश

यूं, तो अखिलेश यादव और उनके पिता के बीच पिछले एक साल से चल रही तकरार पूरे आवाम से छिपी नहीं है। लेकिन,अखिलेश इस बात के लिए कृतसंकल्प हैं कि वे अपने पिता को हर हाल में खुश करके रहेंगे। इसीलिए अखिलेश यादव चुनाव हारने के बाद इस बार घर नहीं बैठे। न ही लंबी छुटिï्टयां मनाने विदेश गए। वे हर रोज किसी न किसी जिले के कार्यकर्ता से मिल रहे हैं। उनकी बातें सुनते हैं और फिर आगे की सफलता के लिए गुर मंत्र देते हैं। उनका कहना है कि पिता मुलायम सिंह यादव ने संघर्ष करना सिखाया है। वे संघर्ष करने में माहिर थे। मैं उनका बेटा हूं, तो संघर्ष से पीछे नहीं हटूंगा।

एक ही घर में रहते हैं फिर भी बंद हो गई थी बातचीत

हालांकि, अब पूर्व सीएम अखिलेश का अधिकारिक आवास 4 विक्रमादित्य मार्ग है। मगर वो कुछ समय पहले तक अपनी पत्नी डिंपल यादव और बच्चों के साथ मुलायम सिंह के विक्रमादित्य मार्ग वाले घर में ही रहते थे। एक ही घर में रहने के बावजूद दोनों के बीच बात चीत तक बंद हो गई थी।

यूं बढ़ी थी तकरार अखिलेश और मुलायम में

अखिलेश यादव की सत्ता के करीब दो साल बीते थे। वे विकास के कामों की लगातार शुरूआत कर रहे थे। मेट्रो के लिए लखनऊ में शिलान्यास किया गया। वहां नेताजी ने भरे मंच से अखिलेश से कहा था, केवल शिलान्यास करने से कुछ नहीं होगा। ये अधिकारी पत्थर लगवाते रहेंगे। अरे ये पूछो कि काम पूरा कब होगा? इसके बाद अखिलेश ने एक अन्य कार्यक्रम में कहा था कि पिताजी हम पर इतने नाराज हो जाते हैं कि पता नहीं चलता कि कब वे मेरे पिता के रूप में बोल रहे हंै और कब पार्टी अध्यक्ष के रूप में।

मुलायम से दिल्ली मिलने नहीं पहुंचे थे अखिलेश

मुलायम और अखिलेश के बीच बातचीत नहीं हो रही थी। यह सार्वजनिक रूप से तब उजागर हुआ जब पिछले चुनाव में अखिलेश ने मुलायम से मिलने के लिए दिल्ली जाने से मना कर दिया। दो दिन बाद जब मुलायम लखनऊ आए तभी अखिलेश ने उनसे मुलाकात की।

कई सालों से चल रही थी खटपट

बता दें कि अखिलेश और मुलायम के बीच खटास 2014 के बाद से ही नजर आने लगी थी। 2012 में अखिलेश ने मुलायम सिंह के पसंदीदा लोगों को अपनी कैबिनेट से हटाया। अखिलेश यादव ने जून 2013 में विधूना के विधायक प्रमोद गुप्ता को बर्खास्त कर दिया। गुप्ता मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के करीबी रिश्तेदार भी हैं। मुलायम के कई विश्वसनीय अफसरों को अखिलेश ने बर्खांस्त किया। इससे दोनों के बीच दूरियां बढ़ीं।

अखिलेश ने फिर से पापा को मनाना किया शुरू

बहरहाल, अब सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को फिर से मनाना शुरू कर दिया है। पार्टी की सदस्यता अभियान की सफलता के लिए वे अपने पिता के सिखाए गुर को ही श्रेय देते हैं। सपा इस बार भी रोजा इफ्तार के कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है। इस रोजा इफ्तार पार्टी में भले ही शिवपाल सिंह यादव न आएं पर मुलायम सिंह यादव जरूर आएंगे। उनके साथ आजम खां के आने की पूरी संभावना है। अखिलेश अपने पापा को खुश करने के लिए वह सब कुछ करने को तैयार हैं जो मुलायम को पसंद है।

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