लखनऊ, दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अभी कुछ दिन पहले जो घटना घटी उसने हमारे उन सिस्टम्स पर सवालिया निशान लगा दिए जिन्हें चालू कर हमारी सरकारें अपनी पीठ थपथपाया करती हैं।
अपराध पर अंकुश लगाने के लिए लाई गई डायल 100 सेवा और महिला सुरक्षा के मद्देनजर स्थापित किया गया 1090 उस वक़्त बेमानी ही साबित होता है जब किसी को इसकी बड़ी आवश्यकता होती है।आपको याद ही होगा लखनऊ के दुबग्गा के पास जिस तरह कुछ लोग एक लड़की को टेम्पो पर जबरन बदसलूकी करते हुए ले जा रहे थे तब पीड़ित के परिजनों ने इन सेवाओं पर एक नही कईयों बार मदद लिए काल की पर अफसोस वहां से उन्हें कोई रिस्पॉन्स तक नही मिला जिसका नतीजा ये हुआ कि बेखौफ बदमाशों ने उस लड़की को चलती टेम्पो से बीच राह में फेंक दिया जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
इस पूरी खबर से आप भलीभांति परिचित ही होंगे इसलिए इसपर ज़्यादा चर्चा ना करते हुए सिर्फ उस तथ्य पे आपका ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ जिसकी बात पीड़ित के परिजनों ने कई बार की थी।परिजनों के अनुसार उन्होंने जब पीड़ित को टेम्पो में चीखते चिल्लाते देखा तो मदद की गुहार लगाई पर उनकी मदद करने कोई नही आया जबकि वसूली और चेकिंग के नाम पर टैक्स वसूली में दुबग्गा चौकी मशहूर है फिर भी उस वक़्त उनके कानो में जु तक नही रेंगी वही दूसरी तरफ पीड़ित के परिजनों ने डायल100 और 1090 नंबर पर गुहार लगाने का प्रयास किया पर वहां भी ऐसा कोई रिस्पांस नही दिखा जिसके लिए हमारी सरकारें छाती ठोक कर उनकी सराहना करती है।
और तो और मड़ियांव पुलिस ने भी रिपोर्ट लिखने में पीड़ित पक्ष को काफी परेशान किया ये बात पीड़ित के परिजनों ने खुद मीडिया से साझा की है तो अब बात ये आती है कि क्या जब तक मामला लाइमलाइट में नही आएगा तब तक पुलिस हरकत में नही आएगी क्या ऐसी सेवाएं जो लोगों की सुरक्षा के लिए बनी है वो अपनी सुविधा के अनुसार ही काम करती हैं अगर ऐसा ही है तो ऐसे सिस्टम पर लानत है जो जान बचाने के लिए नही जान लेने के लिए मजबूर करती है।