भोजपुर। युवती जिस प्रेमी युवक पर रेप का आरोप लगा रही थी, पुलिस ने घर वालों की रजामंदी से राजी-खुशी उसी से शादी करा दी। नवादा थाना परिसर स्थित शिव मंदिर में दोनों ने एक-दूसरे को वरमाला डालकर साथ निभाने की कसमें खाई। जिसके साक्षी नवादा थाना के पुलिस अफसर और जवान से लेकर दोनों पक्षों के परिजन भी बने।
प्रेम-प्रसंग के मामले में झांसा देकर यौन शोषण के मामले में रातोंरात नया मोड़ आ गया। बताते चलें कि आरा नवादा थाना के चंदवा-हाउसिंग कॉलोनी दलित टोला निवासी गुड्डी अपनी ही भाभी के ममेरे भाई धनजी से प्रेम करती थी। लेकिन, धनजी के घर वालों ने उसकी शादी दूसरी जगह तय कर दी थी। इसके बाद दोनों बाइस अप्रैल को यहां से भाग निकले थे।
धनजी गुड्डी को लेकर अपने गांव शाहपुर थाना के सरना-भरौली गांव चला गया था। जहां पर दो दिनों तक उसे रखा था। युवती ने घर लौटकर प्रेमी युवक पर रेप का आरोप लगाया। सोमवार को वह अपनी मां जानकी देवी के साथ नवादा थाने पहुंची और नवादा थाना के इंस्पेक्टर नेयाज अहमद को पूरा घटनाक्रम सुनाया।
युवती की मां ने धनजी पर आरोप लगाया था कि धनजी उसकी बेटी को अगवा कर अपने गांव ले गया और उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। युवती ने भी पूछताछ में इसकी पुष्टि की थी। जिसके बाद नवादा पुलिस ने आरोपी युवक धनजी कुमार को थाने पर बुलाया और गहन पूछताछ की।
दारोगा ही बन गए पंडित, मंत्रोच्चार कर करा दी शादी
पूछताछ में मामला प्रेम-प्रसंग का निकला। जिसके बाद पुलिस ने युवक और युवती के घरवालों को बुलाया। रात दस बजे तक दोनों पक्षों के बीच सुलह करा दी गई। अंतत: युवक के घर वाले शादी करने के लिए राजी हो गए। इसके बाद नवादा थाना परिसर स्थित शिव मंदिर में ही हिन्दु रीति- रिवाज से विवाह की रस्म पूरी करायी गई।
गुड्डी के लिए रातों रात शादी का जोड़ा लाया गया। नवादा थाना में कार्यरत एक दारोगा खुद पंडित बन गए और मंत्रोच्चार के बीच विवाह करा दिया। सिन्दूरदान से लेकर जयमाला तक की परम्परा निभायी गई।
प्रेम-प्रसंग के इस मामले में एक बड़ा पेच था। दरअसल, धनजी की शादी दूसरी जगह तय हो चुकी थी। 18 अप्रैल को उसका तिलक तक चढ़ चुका था। 28 अप्रैल को शादी होनी थी। इस बीच प्रेम-प्रसंग का मामला पुलिस तक पहुंच गया। प्रेमिका जबरन दुष्कर्म का आरोप भी लगा रही थी। इस बीच धनजी की बहन ने निदान निकाला।
वह अपने बेटे से उस लड़की की शादी कराए जाने के लिए राजी हो गई। जिसका तिलक उसके भाई पर चढ़ चुका था। इस तरह मामा के लिए तय दुल्हन का दूल्हा भांजा बन गया, तब जाकर मामा के प्यार पर शादी की मुहर लग सकी।