लखनऊ, दीपक ठाकुर । अभी कुछ दिन पहले की ही बात है आर एस एस ने आरक्षण पर एक बयान दे कर चुनावी समर में भाजपा की मुश्किल को बढ़ा दिया था जिस पर भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं आई थी हो सकता है आर एस एस की कही बात से भाजपा इत्तेफाक रखती हो इसी कारण इस मामले पर वो मौन रही जो हो सकता है कि राजनैतिक दृष्टिकोण से उसके पक्ष में भी हो। पर इसी मुद्दे पर जब सपा की लखनऊ कैंट प्रत्याक्षी अपर्णा यादव ने इस विषय पर अपनी बेबाक राय रखी तो भाजपा नेत्री उमा भरती को ये बात रास नहीं आई और झट से इस बयान को राजनैतिक रूप दे डाला।
हालांकि देखा जाये तो आर एस एस का बयान भी अपर्णा के बयान से ही मिलता जुलता था तो फिर क्या वजह रही की एक पर चुप्पी और दूसरे पर तीखा हमला।
यहाँ ये बात बिलकुल स्पष्ट नज़र आ रही है कि भाजपा आरक्षण को ले दबे स्वर में अपना रुख तो स्पष्ट कर चुकी है पर यही बात कोई दूसरा दल बोल जाये तो ये बात आसानी से कैसे हजम हो सकती है वोट खिसकने का डर जो है यही कारण लगता है कि आरक्षण पर अपर्णा के बयान को लेकर उमा भारती हमलावर हुई है।
उमा भारती को ये चिंता सता रही होगी की अपर्णा के बयान से कही वो लोग उनके पक्ष में न चले जाए जो खास तौर पर आर्थिक आधार पर आरक्षण के पक्षधर हैं अगर ऐसा हो गया तो भाजपा को कम से कम इस मुद्दे पर चुप्पी साधने का खामियाजा तो भुगतना ही पड़ जाएगा।