लखनऊ, दीपक ठाकुर। चुनावी प्रक्रिया के प्रारंभ होने से मतगड़ना होने तक सभी दलों के नेता की जुबां पर रहने वाला ये वही वाक्य है जिसे सुनने की आदत सी पड़ गई है। आपने खुद सुना होगा कि पार्टी के नेता आजकल टीवी अखबार या मोबाइल पर सब का यही दावा करते है कि हम 300 सीट से अधिक जीत रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में जब चुनावी बिगुल बजा तब से ये शोर हर पार्टी के नेता की तरफ से सुनाई देना शुरू हुआ जो सिलसिला तीसरे चरण के मतदान के बाद तक फिलहाल जारी है। तीसरे चरण में वोट डालने आये नेताओ से जब मिडिया ये सवाल पूछती है कि आपकी पार्टी की क्या स्थिति रहेगी और आपका मुकाबला किस्से है तो उनका एक ही सधा जवाब रहता है कि हमारे मुकाबले में कोई नहीं है हम फुल मेजोरिटी में आ रहे हैं।
अब यहाँ ये नहीं समझ आता की जब आप अपना मुकाबला किसी से नहीं मानते और आपकी ही सरकार बनने वाली है तो नामांकन से लेकर मतदान से एक दिन पहले तक किसलिए इतनी जद्दोजहद की जाती है आखिर क्या वजह है कि आप लोग चुनाव में ताबड़तोड़ रैलियां करते हैं तरह तरह के वादे करते है और तो और टिकट के लिए क्यों किसी करीबी नेता का दिल तोड़ते है ।
ज़ाहिर है ये सब इसीलिए होता है कि हर पार्टी यही चाहती है कि हर सीट पे ऐसा उम्मीदवार उतारा जाये जो जीत का हकदार हो और उसी का खूब प्रचार प्रसार भी किया जाता है कई अपनों को नाराज़ तक किया जाता है जब इतना कुछ जीत के लिए किया जाता है तो उस जीत के आने तक इंतज़ार क्यों नहीं किया जाता क्यों पहले से ही ढोल पीट दिया जाता है कि हम ही हम हैं बाकी सब बेदम हैं।
अब कौन कौन है क्यों है ये जनता पर भी छोड़िये भाई आप ही सब कर लेंगे तो जनता क्या करेगी उसी को तय करने दीजिये की कौन 300 पार जायेगा और कौन 30 पर ही सिमट जाएगा।
खैर चुनाव में नेताओं को ऐसा बोलने की आदत सी पड़ चुकी है शायद वो इसको जीत का स्टंट मान चुकी है और शायद यही वजह भी है कि हैं तो बहुत पर टक्कर में कोई नहीं हम 300 पर हमसे ऊपर कोई नहीं वाह नेता जी और वाह उनके जुमले जिससे जनता गंभीरता से लेती है ऐसा शायद ही किसी को लगता हो।।