कानपुर. उत्तर प्रदेश के विधानसभा और निकाय चुनाव में प्रचंड जीत के बाद भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खासे चिंतित हैं क्योंकि हार के बाद भी कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। इसी के चलते उन्होंने एक पत्र भाजपा जनप्रतिनिधियों के नाम भेजा है। जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि वह हर दिन अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनें और उनका तत्काल निराकरण करें। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने विधायकों के नौ माह के कार्यकाल का इनपुट बूथ अध्यक्षों के जरिए मंगवाया और इसी के बाद उन्होंने आदेश दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के जन्मदिन पर फजलगंज स्थित अंसल भवन में भाजपा पदाधिकारियों की बैठक हुई। कांग्रेस में वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी को लेकर मंथन के साथ ही पार्टी 2019 लोकसभा से पहले सभी कमियों को दुरूस्त कर लेने के लिए रणनीति बनाई।
विधायकों को गांव-गांव जाने का आया निर्देश
पहले विधानसभा फिर स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा ने भले ही बहुमत से जीत हासिल की हो, लेकिन इन दोनों चुनावों के दौरान कई कमियां भी सामने आईं हैं जिनकी जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास पहुंच चुकी है। उन्होंने कानपुर के सभी भाजपा सांसद, विधायक, मेयर, नगरपालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष, वार्ड पार्षद और सभासद के नाम एक-एक पत्र जारी कर 2019 से पहले सारी कमियों को दुरूस्त करने के दिशानिर्देश दिए हैं। इसी के बाद भाजपा विधायक जो पहले अपने पीआरवो के साथ ही लेटपैड के जरिए जनता की समस्याएं निपटा रहे थे, वह अब सुबह ही घर छोड़ रहे हैं और गांव-गांव, गली-गली भ्रमण कर जनता से उनके दुख-दर्द जानकार उनका निराकरण कर रहे हैं।
कमियों को दुरूस्त करने पर जोर
जानकारों के मुताबिक परिणाम कुछ भी रहा हो, लेकिन कांग्रेस के वोटों से खुद अमित शाह खासे चिंतित हैं। इसी के चलते अब पार्टी ने नगर निकाय चुनाव का रिपोर्ट कार्ड सामने रखकर ही वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने का फैसला किया है। पार्टी आकलन करेगी कि किस विपक्षी दल को कितने वोट मिले और क्यों। इसी आधार पर पार्टी मजबूती के लिए काम करेगी। इसी के साथ अन्य दलों में भी गए वोटों पर सेंध लगाने के लिए बूथ अध्यक्षों पर ही दांव लगाने की योजना बना रही है। जिस बूथ पर वोट कम मिले, उन पर ज्यादा मेहनत और जनता से सीधे जुड़ाव का फंडा अपनाने की बात कही जा रही है। चूंकि केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार पहले से है, इसलिए जो चुनौतियां मिशन 2019 में सामने होंगी उनसे निपटने का हर तरीका ढूंढा जा रहा है।
बूथ अध्यक्षों का हो सकता है सम्मेलन
विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने कानपुर के रूमा स्थित कानपुर-बुंदेलखंड की 52 सीटों पर नियुक्त 18 हजार बूथ अध्यक्षों का बुलाया था। उनके साथ बैठक कर जमीनी हकीकत परखी थी। बूथ अध्यक्षों के बल पर भाजपा ने विरोधी दलों को घेरा जिसका परिणाम रहा कि बुंदेलखंड में भजपा सारी विधानसभा की सीटें जीत गई। कानपुर नगर व देहात की 14 में से 11 पर कमल खिला। लेकिन नौ माह के दौरान निकाय चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत विधानसभा की तुलना में बढ़ा है और इसी के बाद भाजपाई खासे चिंतित हैं। भाजपा 2018 में बड़ा बूथ सम्मेलन करवाने के लिए तैयारी कर रही है और इसमें अमित शाह के आने की भी बात निकल कर आ रही है। भाजपा विधानसभा की तर्ज पर बूथ अध्यक्षों के बल पर लोकसभा चुनाव में उतरने का मन मना चुकी है और जिन-जिन बूथों पा पार्टी कमजोर रही, उन्हें मजबूत करने के लिए बूथ अध्यक्षों के पास पैगाम भिजवा दिया गया है।
कांग्रेस के साथ सपा का बढ़ा वोट प्रतिशत
भाजपा को डर है कि कहीं लोकसभा में उनका बेस वोटबैंक, ब्राम्हण, क्षत्रिय और गुप्ता छिटक न जाए। मेयर के चुनाव में सपा प्रत्याशी माया गुप्ता एक लाख से ज्यादा वोट लें गई तो वंदना ने भी अच्छी फाइट की। शहर के कई ब्राम्हण बाहूल्य वार्डों में कांग्रेस भाजपा से आगे रही। जबकि साउथ में कमल चला। साथ ही नगर पालिका और नगर पंचायत में भाजपा की हालत बहुत खराब रही। घाटमपुर, बिल्हौर, चौबेपुर में भाजपा बुरी तरह से चुनाव हार गई। केवल बिधूर नगर पंचायत में ही कमल खिला। इतना ही नहीं घाटमपुर नगर पालिका में भजपा विधायिका कमल रानी वरूण के होने के बावजूद निर्दलीय संजय सचान चुनाव जीते और भाजपा को यहां करारी हार उठानी पड़ी।