लखनऊ,न्यूज़ वन इंडिया-दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश का अमेठी एक ऐसा जिला है जिसने देश को दो प्रधानमंत्री दिए और तो और एक परिवार का चुनावी गढ़ बन गया थ अमेठी मगर उसी अमेठी में उसी परिवार का चिराग आज अपनी छत तलाशने में विवश क्यों हो रहा है क्यों वहां के लोग उनको उन्ही के चुनावी गढ़ में बर्दाशत नही कर रहे ये एक बड़ा सवाल है।
वैसे देखा जाए तो अमेठी में जो विकास कार्य है वो उस लिहाज़ से बिल्कुल शून्य है जिस लिहाज़ से उसका नाम बड़े लोगो के साथ जोड़ा जाता रहा है।यहां एक बात तो साफ है कि यहां से जीत कर ऊंचा पद पाने वाले लोग इसको सिर्फ अपना संसदीय क्षेत्र समझ कर ही रह जाते थे जिसका खामियाजा शायद आज राहुल गांधी को भुगतना पड़ रहा है।
दूसरा ये के राहुल गांधी के अमेठी दौरे के दौरान एक पोस्टर पर बवाल हुआ जिसमें राहुल को राम और प्रधानमंत्री को रावण बना के प्रस्तुत किया गया जिसको लेकर कांग्रेस ने कहा कि ये भाजपा का काम है उनका नही तो इसमें थोड़ी सच्चाई लगती है वो इसलिए क्योंकि राजनीती में साम दाम दंड भेद की नीती अपनाई जाती है और हो सकता है ये भाजपा की ही किसी राजनीतिक सोच का हिस्सा हो और ये भी मान लेते हैं कि वहां राहुल का विरोध कर रहे लोग भी भाजपा के समर्थक हो और आपको वहां से खदेड़ रहे हों।
लेकिन आपके लिए सोचने की बात ये है कि आपके पूर्वजों ने अमेठी में ऐसा क्या किया जो वहां आपका गढ़ ही आपसे छीन लिया गया वहां भाजपा के लोग आपको खदेड़ने लगे अगर वो लोग खदेड़ने भी लगे तो वहां रहने वाले लोग आपके समर्थन में क्यों नही आगे आये क्या इससे भी आपको नही लगता कि वाकई अमेठी को आपलोगों ने वो इज़्ज़त नही बक्शी जिसकी वो हक़दार थी।अगर बक्शी होती तो आज रास्ता बदल कर ना निकलना पड़ता।माना कि राजनीती भी आपको बुरा दौर दिखा रही है मगर यहां आपकी ही करनी है जो अब आपके सामने आ रही है।