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Sunday, March 23, 2025

​अल्पसंख्यक होने का सहारा लेकर रिपोस्टिंग करवाना चाहते है, अधीक्षक महोदय !

सीतापुर,अनूप पाण्डेय:NOI।सीतापुर , गोदलामऊ सीएचसी अधीक्षक दिलसाद अहमद अपने को  अल्पसंख्यक के नाम पे लिखा पीएमओ को लेटर बताया की हमे अल्पसंख्यक की वजेह से सीएमओ ने हटाया है ,
सीएमओ  पे दबाव बनाके गोदलामऊ रिपोस्टिंग करवाने के फ़िराक में है ,

जब ये बात आशाओ को पता चली तो भ्रस्ट अधिकारी की आने की बात पे ओ आग बबुला हो गई, आशाओ ने जिलाधिकारी  डॉक्टर मोहन सारिका से मिलने व् शिकायत करने  जिलाअधिकारी परिषर में  यहाँ पहुच गई आशाओ का कहना है की अगर दिलसाद अहमद की पोस्टिंग हो गई तो हम लोग धरने पे बैठ जाये गे, व् कार्य बहिस्कार  कर देगे, क्यों की इस प्रकार के डॉक्टर हमे नही चाहिए कहा की अधीक्षक के हटा देने के बाद हम लोगो को नए अधीक्षक धीरज मिश्रा आये है, तब से हम लोगो के  J .S .Y. के  और साडीयो  के रूपये मिलने  लगे है,
जब इस विषय में सीएमओ से बात की गई तो सीएमओ ने बताया की दिलसाद अहमद अधीक्षक की रिपोस्टिंग की खबर गलत है अभी इस प्रकार की कोई भी बात नही है, ओ वहा पे भरष्टाचार किया था उसी में उन्हें हटाया गया था  फिलाहाल उन्हें रिपोस्टिंग नही दी जाये गी,

आइये जानते है, की पहले आशाओ ने क्या लगाया था आरोप !

दरअसल, जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के बाद 1400 सौ रूपये मिलते  है मगर गोंदलामऊ लाभवर्ती  महिलाओ की दो ,दो बच्चो की डिलवरी होने के बाउजूद 3 वर्षो से जननीसुरक्षा के रुपयो को बन्दर बाट कर डाला  ।

जब न्यूज़ वन इंडिया की टीम  ने ब्लाक  गोदलामऊ सीतापुर , सीएचसी  की  पड़ताल किया  तो  चौका देने वाला मामला सामने आया था अस्पताल की करीब 32 आशाओ द्वारा  बताया गया की उन्हें विगत वर्ष 2014 से ना तो अधीक्षक द्वारा कोई साडी दी गई और ना ही कोई पैसा उनके खाते में आया साथ ही आशाओ द्वारा यह भी बताया गया की गोदलामऊ अघीक्षक द्वारा लभर्तीयो से 350 रूपये पहले मागे जाते है फिर उनके खाते में 1400 रुपया दिया जाता है । साथ ही उहोंने यह भी बताया  की अधीक्षक द्वारा जननी सुरक्षा का उनका भी  रूपये पिछले दो वर्षो से नही दिया गया जब आशा बहू  पैसा सी. एच .सी अधीक्षक से मांग जाता है तो उक्क्त अधीक्षक द्वारा हमे गालिया दी जाती है। और साथ ही कहा जाता है की नौकरी से निकाल देगें  जो करना हो  करलो  क्यों की हम पैसा सीऍमओ  को 50 हजार प्रति माह   देते    है।   

             
  सरकारी अस्पताल तक लाने और उन्हें घर छोड़ने तक की जिम्मेदारी निभाने वाली आशा बहू के लिए केंद्र सरकार ने एक योजना चला रखी है। जिसके तहत इन आशा बहुओं को 450 रुपये मूल्य तक की एक साड़ी दी जाती है।

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