लखनऊ,दीपक ठाकुर।उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों को आज आरोप प्रत्यारोप के काम से निजात मिल जायेगी कारण है कि सातवें चरण के लिए प्रचार का आज अंतिम दिन है और इस दिन सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सबसे ज़्यादा यहाँ जिसका शोर रहा वो ज़ाहिर तौर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का जिन्होंने भाजपा को चुनाव में जीत दिलाने का खूब प्रयास किया है।नरेंद्र मोदी ने सातवें चरण के लिए तो काशी में मानो डेरा ही डाल लिया हो।रॉड शो और जन सभाओं में विपक्षियों पर तंज कसना और अपने किये गए कार्यों के बखान करने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं बाकी रहने दी।
वही दूसरी तरफ परिवार और पार्टी में मचे घमासान के बाद गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में आये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी अपनी कुर्सी दोबारा हासिल करने का भरसक प्रयास किया इस दौरान अखिलेश सभी के निशाने पर रहे और काफी मज़बूती से अपने पक्ष भी रखे इस काम में उनको उनकी पत्नी का भी काफी सहारा मिला हालांकि थकान और सत्ता खोने का खौफ उनके चेहरे पर यदाकदा दिखने लगा था पर फिर भी पुरे सात चरण तक एक तरह से अपने बूते ही पार्टी का प्रचार प्रसार किया।
अब बात करते है बसपा सुप्रीमो बहन कुमारी मायावती की तो उन्होंने भी सत्ता के लिये काफी मेहनत की कई जन सभाओं को संबोधित कर उन्होंने अपनी पार्टी के सिद्धांत और विचार धारा से प्रदेश की जनता को अवगत कराया तो वही भाजपा की केंद्र सरकार और अखिलेश की सरकार पर जमकर निशाना भी साधा।हालांकि इस दौरान बसपा और गठबंधन में जो केंद्र सरकार के विरोध की बात रही वो एक मुद्दे पर समान ही रही वो थी नोटबंदी। नॉटबंदी के मुद्दे पर दोनों ने एक सुर में मोदी सरकार को लताड़ लगाईं।दोनों पार्टियों का कहना था कि इससे जनता परेशान हुई है।जिसपर भाजपा का जवाब भी आया की जनता उनके साथ है सिर्फ कुछ पार्टियां परेशान है।
खैर चुनावी समर में आरोप प्रत्यारोप का दौर ऐसे ही चलता है सभी खुद को सुपर से ऊपर बताने की कवायद में लगे रहते है जनता के बीच जाना या उनको अन्य माध्यमो से समझाना उनकी दिनचर्या बन जाती है यही वो सब है जो आज से उत्तर प्रदेश में कम से कम पांच साल के लिए बंद हो जायेगा।
ग्यारह मार्च को नतीजे आने के बाद नए समीकरण की तैयारी में पार्टियां जुट जाएँगी अगर किसी को सहारे की जरूरत पड़ी तो वो उसकी जद्दोजहद में जुटा दिखाई देगा अगर किसी को सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ी तो सरकार बनाने की जद्दोजहद में लग जायेगा।पर फिलहाल 11 मार्च तक सब कुछ शांत रहेगा जिससे नेताओ को फौरी तौर पर थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी।