जिस बुनियाद पे सत्ता पाई अब उसी पे सवाल खड़े हो रहे हैं गैर तो गैर यहां अपने विश्वास भी दो टूक बोल रहे हैं।।
लखनऊ,दीपकठाकुर। ये जो कुछ लाइने मैन बोली है उससे आपको अंदाजा हो गया होगा कि हम आप के विश्वास की बात कर रहे हैं यानी अरविंद केजरिवाल के साथी कुर्सी दिलाने में अपनी वाक्पटुता से अहम भूमिका निभाने वाले कवि और आप पार्टी के नेता कुमार विश्वास की।
कुमार विश्वास को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बहुत ज़्यादा उम्मीद थी कि ये बन्दा वाकई भ्रस्टाचार के खिलाफ है मगर जब से कुर्सी मिली तब से अरविंद केजरीवाल भ्रस्टाचार के विरुद्ध होने की मुहिम भूल कर उसको बढ़ावा देने में काफी व्यस्त दिखाई दे रहे है फिर बात चाहे सरकारी धन के दुरुपयोग की हो या उनके नेताओ के भ्र्ष्टाचार की और या शाही भोज के आयोजन की उन सब बातों में अरविंद केजरीवाल डिफेंसिव मुद्रा में ही नज़र आ रहे हैं।
इन्ही सब बातों से उनकी निंदा अब चारो तरफ होने लगी है अन्ना हजारे के आदर्श पर पार्टी का गठन किया पर अब वो भी खफा कुमार विश्वास ने चीख चीख कर तारीफों के पल बांधे पर लगता है अब वो भी खफा उप चुनाव में मिली हार से दिल्ली की जनता भी खफा खुश हैं तो वही लोग जो सिंहासन पर ये समझ के बैठे हैं कि ये उनकी प्राइवेट प्रॉपर्टी है।
मैं ये सब ऐसे ही नही कह रहा आपको भी पता ही होगा कि अन्ना जी अरविंद की नीति के चलते उनसे नाराज़ चल रहे हैं जनता भी विश्वास खोती जा रही है अब जो एक वीडियो आया है कुमार विश्वास का उसको देखने के बाद ये कहना मुश्किल नही की विश्वास का विश्वास भी आप से उठ चुका है।
कुमार विश्वास ने अपने 13 मिनट के वीडियो में दिल्ली की सरकार से अपनी नाराज़गी जाहिर की है उन्होंने ये भी चेताया है कि सिंहासन सदा किसी का नही रहता इसलिए अपने मुद्दे से ना हट कर भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध काम करें उसपर लीपापोती से आप की ही फजीयत होगी।
कुमार विश्वास की बात को अरविंद केजरीवाल अगर संजीदगी से ले लें तो हो सकता है कि जनता उनपर पुनः विश्वास जताए और विश्वास भी आप के साथ रह जाये।