लखनऊ, दीपक ठाकुर। आज़म खान एक ऐसा नाम जो कभी भी नेकी के लिए सुर्खी में नही आता वो सुर्खी में आता है तो बदजुबानी और अड़ियल रवैये के लिए।समाजवादी पार्टी में आज़म खान एक खास शख्स के तौर पर टिके हैं जो पार्टी को मुस्लिम वोट दिलाने की गारंटी माना जाता था पर इस बार के चुनाव में वो गारंटी भी एक्सपायरी हो गई फिर भी आज़म खान का कद पार्टी में कम नही हुआ वो आज भी पार्टी के लिए खासे आज़म ही हैं अगर ऐसा ना होता तो आज़म ने हमारे सैनिको का जो अपमान किया है उसे देखते हुए पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा चुकी होती जो फिलहाल नही हुआ।
आपको बता दें कि आज़म ने सैनिकों के लिये एक ऐसा बयान दिया था जिसे सुनकर हर भारतीय शर्मसार तो हो ही गया था साथ ही आज़म को लेकर गुस्से में भी था तमाम टीवी चेनलो पर भी उस बयान की घोर निंदा हो रही थी साथ ही आज़म को गद्दार भी कहा जा रहा था क्योंकि उनका बयान उनकी गद्दारी को साबित भी कर रहा था।
आज़म ने हमारे सैनिको के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया उसे दोहराने तक मे हमे शर्म आती है पर समाजवादी पार्टी उस शख्स को अभी भी सिर माथे पर बैठाए हुए है जिसने देश के सैनिकों का अपमान किया है।पार्टी उनके बयान की तो निंदा करती है पर उनपर कारवाई करने से पल्ला भी झाड़ती नज़र आ रही है जिसकी दो वजह हो सकती है एक तो ये के समाजवादी पार्टी को इस बात का डर होगा कि कहीं आज़म पर की गई कारवाई से मुस्लिम वोट पर असर ना पड़े क्योंकि 2019 का मामला नज़दीक है वही दूसरी तरफ ये के पार्टी के मुखिया आज़म से इत्तेफाक रखते हो।
अगर ये दोनों ही बाते उन पर कार्यवाई ना करने का कारण हैं तो समाजवादी पार्टी को भी आज़म के साथ बराबर का दोषी मानना चाहिए और देश हित के लिए देश की जनता को दोनों से उचित दूरी बना लेनी चाहिए क्योंकि देश के मान स्वाभिमान और सम्मान के साथ देश का कोई नागरिक ऐसा व्यवहार करता है तो उसे गद्दार की श्रेणी दी जाती है जो आज़म खान को मिली है पर पार्टी का उनके प्रति दुलार भी कुछ ऐसा ही संकेत देता नज़र आ रहा है जनता पूछ रही है कि अब नही तो कब?