लखनऊ,न्यूज़ वन इंडिया-दीपक ठाकुर।लोकतंत्र को मजबूत बनाये रखने वाली प्रणाली पूरी तरह स्वतंत्र नही है और ऐसा भी नही है कि यहां सब कुछ ठीक चल रहा है और अगर ऐसा ही रहा तो हमारा लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है ये बात कही है खुद सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जिन्हें खुद लगता है कि न्याय की व्यवस्था में कही ना कही भारी गलती हो रही है।
शुक्रवार को दिल्ली में जस्टिस चेम्लेश्वर,जस्टिस रंजन गोगोई,जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोज़फ़ ने एक पत्रकारवार्ता में अपने दर्दो का पुलिंदा खोल के रख दिया।उन्होंने सीधे तौर पर सीजेआई पर आरोप लगाया है उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन में काम काज ठीक ढंड से काम नही कर रहा है।उनका कहना था कि यहां चीफ जस्टिस की मनमानी से न्यायिक कार्य प्रणाली प्रभावित हो रही है जिससे लोग हम पर उंगली उठा रहे हैं।
उनका आरोप था कि चीफ जस्टिस केस के बंटवारे में भी अनियमिता बरत रहे है जिसको लेकर हमने उनको पत्र भी लिखा था पर अभी तक उसका जवाब नही दिया गया तभी हमको मीडिया के सामने आना पड़ा ताकि कोई ये ना कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी है।
सीजेआई को लिखी चिट्ठी को सार्वजनिक करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें ऐसे कई मामले है जिस पर चीफ जस्टिस की दखल से न्यायिक प्रणाली पर बहुत फर्क पड़ा है जिससे लोगों की उंगली जजो पर उठती है उनका साफ कहना था कि अगर यही हालात बने रहे तो ये हमारे लोकतंत्र के लिए ठीक नही होगा।
आज की प्रेसवार्ता के बाद ये बात तो साफ है कि मौजूदा चीफ जस्टिस के खिलाफ इन जजो ने मोर्चा खोल दिया है अब उनके आरोप कितने सही है ये कह पाना हमारे लिए मुश्किल होगा हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री जय शंकर प्रसाद को तत्काल बुलाकर सारी घटनाक्रम की जानकारी ली है लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि सरकार इस मामले से दूरी बनाए रखना चाहती है उसका कहना है कि ये न्यायायिक प्रणाली का अंदुरुनी मामला है जिसे वो खुद सुलझाएं। लेकिन इसका हल क्या निकलेगा ये आने वाला वक़्त बताएगा अगर जजो के आरोप सही हुए तो ये वाकई लोकतंत्र के लिए कहीं से सही नही कहा जायेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ही एक मात्र ऐसा विकल्प है न्यायिक प्रणाली में जहां से निकली बात लोगो की ज़िंदगी बचा भी सकती है और ले भी सकती है।