नैंसी…जो सारे राज़ जानती थी, क्योंकि वो अपनी बुआ की राज़दार थी. वो बुआ की शादी से पहले परिवार द्वारा छिपाए जा रहे कुछ राज़ खोलना चाहती थी, लेकिन अगले ही पल खामोश कर दी गई, हमेशा के लिए! अपने ही नैंसी के दुश्मन बन गए थे, जिन्होंने बड़ी ही निर्दयता से अपनी ही भतीजी का गला घोंट दिया था। झूठी शान के लिए नैंसी का मुंह बंद करना जरूरी था इसीलिए चाचाओं ने भतीजी का भी खून बहाने में किंचित मात्र भी संकोच नहीं किया. 12 वर्षीय नैंसी को आशंका भी नहीं रही होगी अब वो बुआ से कभी नहीं मिल पाएगी. नैंसी भले ही इस दुनिया से चली गई, लेकिन उसकी आवाज़ फिर भी नहीं रूकी. उसकी हूंक मधुबनी, बिहार से निकलकर दिल्ली तक गूंजने लगी. पुलिस पर दबाव बढ़ा और वो आरोपी पकड़ लिए गए, जिन्होंने बेदर्दी से नैंसी को मारकर अपने जुर्म छिपाने की कोशिश की थी.
बिहार के बहुचर्चित नैंसी हत्याकांड में अभी भी कई राज खुलने बाकी थे. बेशक पुलिस ने अभी उसके दो चाचाओं को गिरफ्तार कर मर्डर मिस्ट्री को सुलझा लेने का दावा किया है, लेकिन बुआ के प्रेम प्रसंग की राजदार नैंसी की हत्या के पीछे का पूरा सच आना अभी बाकी है. इस मामले में दायर प्राथमिकी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पुलिस के दावे और परिजनों के आरोप बताते हैं कि छुपाने से ज्यादा इस मामले में दिखाने का प्रयास शुरु से होता रहा है.
नैंसी को जान देकर चुकानी पड़ी बुआ के राज़ की कीमत
मासूम नैंसी का क्या था कसूर?
क्या कसूर था नैनसी का, जिसे बड़ी ही बेरहमी से कत्ल कर दिया। बुआ की राज़दार भतीजी नैंसी बस कुछ बताना चाहती थी, शायद परिवार को आईना दिखाना चाहती थी. नैनसी खुश नहीं थी जबकि उसकी अपनी बुआ की शादी की तैयारियां चल रही थी. बुआ के लव अफेयर के बारे में जानने वाली नैंसी के बोलने से जबरन की जा रही बुआ की शादी टूट सकती थी।
इसीलिए परिजनों द्वारा नैंसी को शादी से दूर रखने की भरपूर कोशिश की गई. बुआ की शादी और भतीजी नैंसी एहतियातन ननिहाल में भेज दी गई थी, पर नैंसी नहीं मानी और लौट आई बुआ के पास ताकि यह शादी रूक जाए. फिर जो हुआ वह इतिहास में दर्ज हो गया। बुआ की शादी के एक दिन पहले यानी 25 मई को नैंसी गायब हो गई.
ऑनर किलिंग की शिकार हुई नैंसी?
इधर नैंसी की बुआ की शादी की तैयारी चल रही थी, उधर नैंसी को दूसरी दुनिया में भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी थी। नैंसी की हत्या में परिजनों का हाथ है को आधार बनाकर पुलिस जब तफ्तीश कर रही थी तब पता चला कि बुआ की शादी की जगह को अचानक बदला गया। यानी मैरिज वेन्यू को एकाएक बदला गया। हालांकि परिजनों की दलील है शादी निर्मली में होनी पहले से तय थी, लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक शादी की जगह अचानक बदल दी गई, क्योंकि नैंसी को लेकर परिजनों की चिंतित थे.
अपनों की साजिश की शिकार नैंसी?
कहते हैं कि नैंसी की बुआ शादी संपन्न होने तक उसकी गुमशुदगी को लेकर परिवार और रिश्तेदारों के चेहरे पर किसी भी प्रकार का शिकन नहीं देखा गया, लेकिन एहितयातन और बड़ी ही चालाकी से गुमुशुदगी को लेकर थान में एक रपट थाने में दर्ज जरुर दर्ज करा दी गई थी, जिसमें लालू झा और पवन झा को आरोपित किया गया. जिन्हें बाद में पुलिस ने बुलाकर पूछताछ की और फिर छोड दिया था. नैंसी की बुआ की शादी के दो दिन बाद यानी 27 मई को टिलीगढ़ नदी के किनारे जब नैंसी का शव मिला तो हल्ला मच गया. लाश की बरामदगी के बाद परिजनों का दावा था कि नैंसी का शरीर तेजाब से झुलसा था और जीभ थोड़ी सी बाहर निकली हुई थी.
पुलिस को गुमराह करते रहे परिजन
परिजनों नैंसी की हत्या को अलग रुप देना चाहते थे, लेकिन उनके दावों की तब हवा निकल गई जब पोस्टमार्टम से पहले नैंसी की गला दबाकर हत्या करने की बात से सामने आई. क्योंकि इससे पहले सोशल मीडिया में तेजी से परोसा जाने लगा कि नैंसी की हत्या के बाद पहचान छिपाने के लिए उसके चेहरे पर तेजाब डाला गया और यह कहानी सोशल मीडिया में वायरल भी करवाई गई. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने गढ़ी जा रही सारी कहानियां झूठी साबित हुईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि नैंसी की मौत गला दबाने से हुई है और तेजाब डालने व अन्य कारणों से मौत के कारणों को खारिज कर दिया गया।
उलटा पड़ा अपहरण का दांव
उधर, नैंसी के पिता द्वारा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई रिपोर्ट दावे से उलट निकला. प्राथमिकी में नैंसी के पिता के हवाले से कहा गया था कि नैंसी को एक अजनबी मोटरसाइकिल पर अपने साथ अगवा कर ले गया है और अगवा करने वाले मोटर साइकिल चालक के पीछे लालू झा और पवन झा को उसी दिशा में जाते उन्होंने देखा था।
परिजनों ने दावा किया था किनैंसी की हत्या में लालू झा और पवन झा का हाथ हो सकता है, क्योंकि कुछ साल पहले नैंसी की बुआ के साथ पकड़े जाने पर दोनों की पिटाई की गई थी. थाने में परिजनों की दलील थी कि शादी में बाधा पहुंचाने के लिए लालू झा और पवन झा ने नैंसी की हत्या की है.
झूठी निकली वायरल स्टोरी
पुलिस नैंसी की हत्या के कारणों के लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे स्टोरी पर नज़र बनाए हुए थी, जिसमें तेजाब डालने और नस काटने वाली बातें प्रमुख थीं। पुलिस परिजनों के उक्त थ्योरी को नहीं पचा पा रही थी, जिसमें कहा गया था कि एक अनज़ान आदमी जो खुद बाइक चला रहा था वो 12 वर्षीय किसी लड़की का अपहरण कैसे कर सकता है? नैंसी की हत्या को लेकर गढ़े गए परिजनों की थ्योरी ने पुलिस का शक परिजनों पर बढ़ा दिया.
परिवार पर पुलिस ने कसा शिंकजा
करीबियों को राडार पर लेते हुए पुलिस एक बार नए सिरे से जांच शुरु कर देती है. नैंसी को आखिरी बार देखने का दावा करने वाले उसके चाचा राघवेंद्र से पूछताछ के लिए थाने पर बुला लेती है. पुलिस की यह कोशिश नैंसी हत्याकांड केस को सुलझाने की दिशा में टर्निंग प्वाइंट साबित हुोती है. राघवेंद्र के थाना पहुंचते ही नैंसी के पिता थाने में हंगामा शुरु कर दिया और राघवेंद्र को लेकर घर वापस लौट आते हैं और राघवेंद्र को घर में रहने और किसी से बात न करने की हिदायत दे दी जाती है.
जांच के एसआईटी का गठन
नैंसी हत्याकांड सुर्खियों में था। मधुबनी जिला के फुलपरास अनुमंडल अंतर्गत अंधरामठ थाने के महादेवमठ गांव में शिक्षक रविन्द्र नारायण झा की 12 साल की बेटी नैनसी झा का मामला सरकार की चौखट तक भी पहुंच चुका था. देखते-देखते पुलिस और प्रशासन हरकत में आई और नैंसी हत्याकांड की के गहन पड़ताल के लिए एक एसआईटी के गठन की घोषणी कर दी गई।
जब एसआईटी ने काम करना शुरू किया तो सबसे उसने करीबियों को खंगालना शुरु किया. मामले की गहन जांच व पड़ताल एसआईटी टीम ने नैंसी के सभी परिजनों का मोबाइल डीटेल जमा करवाया. पुलिस के मुखबिरों का जाल फैला दिया. नैंसी के ननिहाल में कुछ खास लोगों से लंबी पूछताछ के बाद एसआईटी नतीजे पर लगभग पहुंच गई यानी तीर सही निशाने पर लगा था. कुछ ठोस सबूत हाथ लगते ही एसआइटी ने नैंसी के दोनों चाचाओं को गिरफ्तार कर लिया।
परिजन ही निकले नैंसी के कातिल
जमा सबूतों के आधार पर एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि नैंसी की हत्या में उसके परिजनों का ही हाथ था. जबकि परिजन अब भी पुलिस जांच को दूसरी ओर भटकाने का प्रयास करते रहे. एसआईटी जांच नतीजों के बाद अब पुलिस के पास अब नैंसी हत्याकांड केस में पुख्ता सबूत मौजूद है.
बहन की शादी न टूटे इसलिए भाईओं ने भतीजी का कत्ल कर दिया
बकौल मधुबनी एसपी दीपक वर्णवाल, “शादी से पहले नैंसी को बुआ के लव अफेयर की जानकारी हो गई थी, वो इस बात को उजागर करना चाहती थी. चाचा राघवेंन्द्र और पकंज को नैंसी को चुप कराना था. उन्हें डर था कि बहन की शादी के मौके पर नैंसी ने इस बात का खुलासा कर दिया तो शादी टूट जाएगी. यहीं से परिजनों ने नैंसी के मर्डर की योजना तैयार की गई होगी और नैंसी को शादी समारोह से दूर ले जाने के लिए राघवेंद्र को लगा दिया गया. नैंसी की गला दबाकर हत्या करने के बाद 26 तारीख को ही उसकी लाश को नदी किनारे ठिकाने लगा दिया.”
मोबाइल नेटवर्क ने खोल दी पोल
नैंसी की हत्या में चाचा राघवेंद्र और पंकज झा की भूमिका पर तभी शक हो गया था जब 25 और 26 मई के दिन दोनों का मोबाइल लोकेशन घर से दूर एक ही वक्त पर एक ही जगह मिला। अब शादी वाले घर में काम के दौरान दोनों भाईयों का मोबाइल लोकेशन उसी नदी किनारे पर मिलना जहां नैंसी की हत्या कर लाश को ठिकाने लगाया गया था.
पुलिस को यकीन हो गया कि नैंसी की हत्या में दोनों चाचाओं का हाथ है और जब पूछताछ के लिए एसआइटी दोनों भाईयों के ऊपर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करती है तो तोते की तरह राघवेंद्र और पंकज झा दोनों भाईओं ने नैंनसी हत्याकांड से जुड़ी सभी कारनामों की सच्चाई को उगल दिया।