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Tuesday, September 10, 2024

​ईवीएम में गड़बड़ी का मिला सबूत, वोट दबाया निर्दलीय का और वोट गया बीजेपी को…


नई दिल्‍ली
। चुनाव आयोग के दावों के विपरीत महाराष्ट्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की बात सही साबित हुई है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से शनिवार को यह खुलासा हुआ।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बताया कि महाराष्ट्र के बुलढाना जिले में हाल ही में हुए परिषदीय चुनाव के दौरान लोणार के सुल्तानपुर गांव में मतदान के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ की बात सामने आई।

गलगली ने कहा कि मतदाता जब भी एक प्रत्याशी को आवंटित चुनाव चिह्न नारियल का बटन दबाते तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चुनाव चिह्न कमल के सामने वाला एलईडी बल्ब जल उठता।

उन्‍होंने आगे बताया कि निर्वाचन अधिकारी ने इसकी जानकारी जिलाधिकारी को दी, जिसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ। इलाके की एक निर्दलीय प्रत्याशी आशा अरुण जोरे ने 16 फरवरी को हुए मतदान के दौरान आई इस गड़बड़ी की शिकायत की थी।

इसके बाद निर्वाचन अधिकारी से मामले की जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा था, जिसके बाद गलगली ने 16 जून को आरटीआई दाखिल की। चौंकाने वाली बात यह है कि जब आशा अरुण ने मतदान वाले दिन ही सुबह 10 बजे इसकी शिकायत की तो मतदान केंद्र पर नियुक्त निर्वाचन अधिकारी ने इसका संज्ञान लेने से ही इंकार कर दिया।

गलगली ने बताया कि, जब कई मतदाताओं ने ऐसी ही शिकायत की तब जाकर निर्वाचन अधिकारी ने अपराह्न 1.30 बजे इसका संज्ञान लिया और कार्रवाई करने से पहले सभी राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंट से सहमति ली।

शिकायतों की जांच के बाद निर्वाचन अधिकारी मानिकराव बाजद ने शिकायत सही पाई, जिसकी मतदान केंद्र के निर्वाचन प्रभारी रामनारायण सावंत ने पुष्टि की। रामनारायण ने ही लोणार के निर्वाचन अधिकारी को मामले की सूचना दी।

लोणार के निर्वाचन अधिकारी के सहायक इसके बाद खुद मतदान केंद्र पहुंचे और शिकायत को सत्य पाया कि एक खास प्रत्याशी के चुनाव चिह्न वाला बटन दबाने पर वोट बीजेपी प्रत्याशी को जा रहा था।

निर्वाचन क्षेत्र से कई निर्वाचन अधिकारियों द्वारा जिलाधिकारी के पास शिकायत करने के बाद उस मतदान केंद्र पर मतदान रद्द कर दिया गया, मतदान केंद्र को बंद कर दिया गया, गड़बड़ ईवीएम मशीन को सील कर दिया गया और अतिरिक्त विकल्प के तौर पर रखी गई ईवीएम मशीन को लगाया गया। लेकिन जब कई राजनीतिक दलों ने फिर से मतदान कराए जाने की मांग उठाई तो मतदान पूरी तरह रद्द कर पांच दिन बाद 21 फरवरी को पुनर्मतदान करवाया गया।

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