लखनऊ,दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव के बाद जो परिणाम आये वो उन पार्टियों के लिए काफी चौकाने वाले थे जो सत्ता में वापसी का सपना देख रहे थे इसी चक्कर मे चुनावी समर में हर तरह के हतकंडो का सहारा भी लिया गया किसी को साथ ले के चुनाव में कूदे तो किसी से परिणाम आने के बाद मिलाप करने को आतुर दिखे पर जब परिणाम का पिटारा खुला तो सारी योजना धरी की धरी रह गई ना साथ काम आया ना साथ लेने की योजना ही फलीभूत होती दिखाई दी।
जब खुद को खाली हाथ देखा तब ये एहसास हुआ कि जो जीता है वो गड़बड़ी से जीता है अगर गड़बड़ी ना होती तो सरकार हमारी होती और गड़बड़ी का ठीकरा फोड़ा तो ईवीएम मशीन पर।
हार के बाद से ही सभी हारी पार्टी मशीन में गड़बड़ी करने का आरोप लगाती जा रही है और कोर्ट जाने की बात कर रही है इसमें सबसे ज़्यादा बौखलाहट दिखाई बसपा सुप्रीमो मायावती जी ने उन्होंने तो पूरा मन बना लिया था कि समर्थन की झड़ी लगने के बाद उनकी जीत तो पक्की ही है।
खैर बहन जी के पीछे पीछे बाबा राहुल और अखिलेश भी कहने लगे कि गड़बड़ी की बात यदि की जा रही है तो कुछ ना कुछ तो होगा ही जांच होनी चाहिए बस यही बात आज राज्य सभा मे ऐसी उठी की सभा ही नही चलने दी गई अब आज क्या हुआ राज्य सभा मे ये भी जान लीजिए।
हुआ ये कि बुधवार को राज्यसभा में ईवीएम मशीन में गड़बड़ी का मुद्दा गूंज उठा और इस मुद्दे पर राज्यसभा में कांग्रेस, बसपा और सपा एक साथ सुर में सुर मिलाते नज़र आये।आज सदन की कार्रवाई में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे को उठाया और देखते ही देखते सदन में तीखी बहस होने लगी। मायावती ने यहां तक कह दिया कि बीजेपी बेईमान है। मायावती ने बयान दिया कि वो इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी।
राज्यसभा सदन में ईवीएम मुद्दे पर एक के बाद एक सपा, कांग्रेस और बसपा नेताओं ने सुर में सुर मिलाकर इसका विरोध किया. मायावती का साथ देते हुए सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि इस मामले की सही से जांच होनी चाहिए।
कांग्रेस के गुलाब नबी आजाद ने भी मायावती की मांग का समर्थन किया और ईवीएम से चुनाव बंद करने की मांग की. मायावती ने कहा कि चुनाव आयोग को मतदान के लिए बैलेट पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए।
यहां गौर करने वाली एक बात ये भी है कि ईवीएम को लेकर मध्यप्रदेश की जो घटना सामने आई थी उससे उन पार्टियों के हौसले बुलंद हो गए है जिनको चुनाव में मुह की खानी पड़ी थी।अब इन आरोपों में क्या सच्चाई है ये तो जांच का विषय है पर पार्टीयों की हताशा से सदन की कार्यवाई ना हो पाना ये चिंता की बात है।