नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के करीब 143 विधायकों की विधायकी खतरे में पड़ गयी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने देश के तमाम दागी विधायकों के मसले पर जवाब तलब किया है। जिसमें यूपी के 143 विधायक भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस रवैये से इन दागी विधायकों के होश उड़ गए हैं। कोर्ट का रवैया अगर ऐसे ही सख्त रहा तो आने वाले समय में इन विधायकों को अपनी विधायकी गंवानी पड़ सकती है और इन पर असेम्ब्ली में जाने पर रोक लग सकती है।
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सवाल करते हुए कहा कि यदि वह स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है तो अपना स्वतंत्र नजरिया क्यों नहीं रख सकता। क्या उसे अपना पक्ष रखने के लिए विधायिका के निर्देशों का इंतजार करता है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नौकरशाह दोषी ठहराया जाता है तो वह आजीवन नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया जाता है। फिर राजनेताओं पर छह साल की पाबंदी क्यों नहीं? राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध क्यों नहीं लगना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।
बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) की मानें तो , 2017 में पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) में हुए चुनाव में चुने गए 690 विधायकों में से 192 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। 690 में से 140 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं, जिनमें पांच साल या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है। जब बात सिर्फ यूपी की आती है तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से 143 यानी 36 फीसदी विधायकों पर आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज है, जिनमें से 107 विधायकों यानी 26 फीसदी पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।