सूर्य प्रताप सिंह
गुंडो के गले में लहराता उनका रक्षा कवच है, गजभरिया गमछा ! आप इस गमछे को धारण करके देख लें, पुलिस नहीं छू सकती आपको… सत्ता की शक्ति का प्रतीक है एक अदद ‘भगवा गमछा’ !
एक सरकार पर भी भारी है, ‘भगवा गमछा’… गुंडागिरी का लाइसेन्स है, यह ‘अंग वस्त्र’…. इसे पहन कर व्यक्ति ‘बाहुबली’ बन जाता है, नयी ‘VIP’ कल्चर की हनक़ है यह गमछा, पहनने वाले की आँखों में चमक पैदा करता है और पुलिस के हृदय में डर जगाता है, यह एक गज़ का गमछा….मार्केट में शॉर्ट सप्लाई में है , आज फ़ैशन ट्रेंड है ….भारी मार्केट डिमांड है, इस भाग्यशाली ‘गमछे’ की।
मेरे घर पर हमला करने वाले भी इसी पवित्र रंग के गमछाधारी गुंडे थे…. शायद इसी लिए पुलिस इसके धारक को पहचानकर भी हाथ डालने से डरती है। इस गमछे के आगे सारी व्यवस्था लाचार व बेबश लगती है …. हो भी क्यों न हो जब सरकार के सारे flagship अभियानों की बागडोर इसी ‘भगवा गमछाधारी’ ब्रिगेड के हवाले है…. ‘ऐंटी रोमीओ’ स्क्वॉड, अवैध बूचढ़खाने, गौ रक्षा/ तश्तरी पर रोकने, लवजिहाद और अब शायद क़ानून व्यवस्था भी इसी ब्रिगेड के हवाले हो जाए…… भाजपा के मूल वफ़ादार कार्यकर्ता तो आज पीछे हो गए है और पूर्व सरकार के गुंडे/दलाल भी इसी गमछा की बदौलत माननीयों की चरण बंदना व परिक्रमा में लगे हैं… खनन पट्टों पर क़ब्ज़े कर रहे हैं, इंजीनियरर्स/ठेकेदारों से अवैध वसूली कर रहे हैं …..शायद सरकार को अभी होश नहीं आया है। यदि समय रहते CM योगी की वक्र दृष्टि इस ब्रिगेड पर नहीं पड़ी, तो सरकार को कलंकित होने से शायद ही कोई रोक सके ….. मीडिया भी डरता है, भगवा ब्रिगेड के ख़िलाफ़ लिखने में। हर कई जगह से ख़बर है कि तहसील/थानों पर हमला बोल देते हैं ये लोग….
भगवा रंग….पवित्रता, जागृति, शौर्य तथा त्याग का प्रतीक है …. आओ इसे कलंकित होने से बचाएँ। पता नहीं कब, इस रंग से गमछे को पहनने वाले भगवा रंग की गरिमा का ख़याल रखना सीखेंगे ?
शायद मेरे घर पर हमला करने वाले इस ब्रिगेड पर पुलिस हाथ डालने से इसी लिए डर रही है कि कहीं इससे सरकार की बदनामी न हो…… विडम्बना देखो कि सरकार को हमने बनवाया और आज उसी के प्रतिनिधि बन गुंडे भगवाधारी मुझे मारने पर आमादा हैं। मुझे आज सुरक्षा हेतु शायद उच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़े ….किसी सबल हृदय advocate का सहारा लेना पड़े।
मैं जानता हूँ कि यह सब ‘सच’ लिखने से ऐसे लोग मुझसे और अधिक अक्रोशित होगें…. अब और अधिक गाली-गलौच का शिकार होना पड़े….मेरे घर पर पथराव हो …. गोली चले…. लोकतंत्र के लिए गम्भीर चुनौती है ये सब !!!
(लेखक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं)