लखनऊ,दीपक ठाकुर।नितीश सरकार ने जिस तरह बिहार को शराब मुक्त कर वाह वाही लूटी है उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश की सरकार नहीं बल्कि यूपी शराब बंदी संघर्ष समिति ने इसकी पहल की और इसमें पहली सफलता पाने में भी सफलता पाई है।
मनमाने ढंग से बिक रही शराब पर समिति ने जो पी आई एल दाखिल की थी उस पर हाईकोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उसकी जानकारी खुद समिति के समन्वयक रोहित अग्रवाल ने मिडिया के सामने दी उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्टेट गवर्मेंट को निर्देश जारी किया है कि नई आबकारी नीति बनाये।
यूपी शराब बंदी संघर्ष समिति के समन्वयक रोहित अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में जिस तरह अंधाधुंध शराब बिक्री हो रही है उससे प्रदेश का माहौल खराब हो रहा है उनका कहना था कि समिति प्रदेश में शराब बंदी की पक्षधर है और वो इसके लिए अपनी आवाज़ बुलंद करती रहेगी और अगर सरकार ने अदालत की बात पर शीघ्र कार्यवाही ना की तो उसकी अवमानना के लिए एक बार फिर अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।
देखा जाए तो समिति की मांग बिलकुल जायज़ इसलिए है क्योंकि शराब की दुकानों पर वयस्कों की संख्या तो कम रहती है बल्कि इससे युवा वर्ग ज़्यादा प्रभावित हो रहा है रोहित अग्रवाल ने इस बात का जिक्र करते हुए भी चिंता जताई है।
आपको बता दें कि आर्टिकल 47 के अनुसार नशीले पदार्थों की खुलेआम बिक्री दंडनीय अपराध है इसी को आधार बनाकर समिति ने पी आई एल दाखिल की और न्यायालय ने इसी आधार पर सरकार को निर्देशित भी किया है।
अब देखना है कि प्रदेश सरकार इस पर कैसे और कितनी जल्दी अपना ठोस कदम उठाती है इसी पर हमारी आपकी और समिति की नज़र रहेगी क्योंकि ये मामला समाज से जुड़ा है नशीला पदार्थ जानलेवा होता है ये सभी जानते है और कितनी आसानी से मिलता है ये भी किसी से छिपा नहीं है।