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Tuesday, December 3, 2024

​एकता का संदेश देता हुआ, आल्हा की पत्नी रानी सुनावा के द्वारा स्थापित किया गया, ये मन्दिर !

सीतापुर-अनूप पाण्डेय ,नितेश बाजपेयी:NOI।

 सीतापुर गांव सेउता कस्बे की आबादी लगभग आठ हजार के करीब है जिस में स्थित मां देवी सोनासर का मंदिर है जिसकी स्थापना कई वर्ष पूर्व आल्हा की पत्नी रानी सुनावा के द्वारा स्थापित किया गया जो कि बिरियागढ़ स्थान के नाम से जाना जाता है इसके अलावा इस प्राचीन मंदिर का विवरण फारसी किताब के वाजिब उल अर्स दास्ताने गांजर में भी मिलता है
इस किताब के अनुसार आल्हा उदल गांजर की लड़ाई लड़ने आए थे इस लड़ाई का बबुरी वन की लड़ाई के नाम से विख्यात है इस लड़ाई का विस्तार पूरी तरह से वीर रस से भरपूर आल्हा की किताबों में सिरसागढ़ के नाम से भी मिलता है तब से लगाकर आज तक मा सोनासर देवी की मान्यता और पूजा होती आ रही है इस मंदिर की एक अद्भुत बात यह है
कि इसके अंदर कोई मूर्ति स्थापित नही है जो कि अपनी सच्चाई को बयां कर रही है एक काले पत्थर की लाट स्थित है जिसके ऊपर दाहिने हाथ की अंगुलियों के निशान साफ दिखाई देते हैं विगत वर्षों पूर्व एक ग्रामीण संत सिंह के द्वरा घर की खुदाई करवा रहे थे तभी अचानक एक बड़ी सुरंग दिखाई पड़ी जिसकी खुदाई लगभग 10 फीट तक की गई उसके बाद उसे बंद कर दिया गया और उसे मिट्टी से पटवा दिया गया इस खुदाई में निकलने वाली चौड़ी ईटो और नीवो से जान पड़ता है
कि श्रावस्ती के स्थान सहेट-महेट की नीवो और ईटो से हुबहू मेल खाती है जिससे पता चलता है कि अशोक सम्राट कालीन की है अर्थात यह मंदिर ऐतिहासिक होने के साथ-साथ दार्शनिक भी है जो हिंदुओं की श्रद्धा और परंपरा का रूप है इस मंदिर की पूर्व दिशा के कुछ कदम पर हिंदू मुस्लिम की एकता का प्रतीक सैयद मारूफ बाबा की प्राचीन मजार भी है
जो हर वर्ष बसंत पंचमी को उर्स मनाया जाता है जिसमें गागर कुरान कव्वाली जैसे कार्यक्रम होते और सब हिंदू मुस्लिम मिलकर मनाते हैं उसी के दक्षिण दिशा में दलितों के मसीहा डॉक्टर बी आर अंबेडकर उद्यान और विपस्सना का केंद्र है जो कि तीनों स्थान अपने आप में दार्शनिक और श्रद्धा के रूप है वर्तमान समय में यह स्थान बदहाली और गंदगी के अस्तित्व से गुजर रहे हैं तथा अवैध अतिक्रमण का भी शिकार है जो कि सेवता अंबेडकर पार्क के आगे और आसपास घूरा लगाकर और गंदगी से परिपूर्ण है
जिससे कि इन तीनों दार्शनिक स्थलों का अस्तित्व खतरे में है जिसमें देवी सोनासर का मंदिर प्राथमिक क्योंकि मं देवी सोनासर का वार्षिक मेला अगहन मास की पूर्णिमा को होता था लेकिन अतिक्रमण और अव्यवस्था के कारण नहीं हो पाता है और मंदिर की कमेटी की सुस्त रवैये के कारण कोई धार्मिक आयोजन नहीं हो पाता जब की मंदिर की वार्षिक आय लगभग 3:30 लाख रुपए है और मंदिर के नाम से लगभग 24 बीघा जमीन है जिस पर खेती होती है


जोकि दबंगों के कब्जे में हैं कमेटी के सदस्य के नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि चकबंदी के बाद से आज तक गले का हिसाब कमेटी को आज तक नहीं मिला इस प्रकरण को शासन से उचित कार्यवाही और जमीन व अन्य कार्यक्रम करवाया जाने की मांग की है इन समस्याओं के कारण भी स्थानीय बुद्धिजीवी लोगों के प्रयास और मेहनत से होली दीपावली ईद बकरीद सभी मिलकर शांतिपूर्ण ढंग से मनाते हैं इतनी अनेकता और भिन्नता होने के कारण भी एकता का संदेश देता हुआ सेउता गांव।।

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