लखनऊ, दीपक ठाकुर। प्रदेश की भाजपा सरकार का प्रदेश की जनता के साथ किया एक और वादा मियाद रहते पूरा नही हो पाया है जिसका सरकार को अफसोस नही है बल्कि उसका अपना तर्क है।सरकार ने प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद ही उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने और सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का वचन लिया था मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने तो भरे मंच से कई बार ये घोषणा भी की थी प्रदेश में अपराध का कोई स्थान नही होगा और 15 जून तक प्रदेश की सभी सड़के गड्ढा मुक्त हो जाएंगी।
हालांकि योगी सरकार के अभी तक के कार्यकाल के मद्देनजर कहा जाए तो यहां अपराध का बोलबाला पूर्व सरकार की भांति ही दिखाई दे रहा है बावजूद इसके के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे सुधारने का भरसक प्रयास किया है पर चूक कहाँ रह गई ये पता लगाने में सरकार की भारी चूक नज़र आ रही है।
ठीक वही हाल प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने वाली मियाद का है जो आज यानी 15 जून को पूरी तो हो गई मगर सरकारी आंकड़े अभी अपने हिसाब से इसमें 38 फीसदी की कमी रह गई ऐसा मानते हैं खुद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या मंच पर आ कर ये कहते है कि सड़क दुरुस्त करने का 62 फीसदी काम पूरा हो गया है और आने वाले समय मे बाकी बचा 38 फीसदी काम भी पूरा हो जाएगा।साथ ही उन्होंने पूर्व सरकार को आड़े हाथों लेते हुए अपनी नाकामी का ठीकरा भी पूर्व की सरकारों पर फोड़ते हुए कहा कि पूर्व की सरकारों ने केंद्र सरकार की किसी योजना को जनता तक नही पहुंचने दिया जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
अब बात ये आती है कि जब सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त नही थी कि वो प्रदेश के हालात पर कब तक काबू कर पायेगी तो उसे इन सब चीजों के लिए समय सीमा निर्धारित करने की क्या आवश्यकता थी दूसरी बात जब आपको भरोसा था कि आपकी बात सौ फीसदी सही साबित होगी तो उन विभागों पर कार्यवाही क्यों नही की जा रही जो आपकी मियाद पर सफलता पूर्वक काम को अंजाम नही दे पाए है।खैर अब कैसे क्या करना और बोलना है ये सरकार से बेहतर कोई नही जान सकता जनता तो बस वही समझती है जो उसे ज़मीन पर दिखाई देता है और ज़मीनी हक़ीक़त की बात की जाए तो जनता की नज़र में ना अभी सड़कों पर वो सुधार हुआ है जो होना चाहिए था और ना ही कानून व्यवस्था ऐसी हुई है जिस पर आंख मूंद कर भरोसा किया जा सके तो योगी जी आपको अपना रिपोर्ट कार्ड दुरुस्त करने के लिए उत्तर प्रदेश पर ध्यान केंद्रित करने की ज़्यादा आवश्यकता है बजाय केंद्र की योजना का गुणगान करने के।