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Thursday, October 10, 2024

​ऑपरेशन टाइगर हिल: पाकिस्तान की साजिश, लद्दाख को PoK में चाहता था मिलाना

वर्ष 1999 में एलओसी पार कर द्रास सेक्टर में टाइगर हिल पर काबिज हुए पाकिस्तान के मंसूबे बेहद खतरनाक थे। वह इस चोटी पर बहुत मजबूत स्थिति में कायम था और यहीं से लद्दाख वैली को हिंदुस्तान से काट देना चाहता था। यदि ऐसा हो जाता तो पीओके के अलावा कश्मीर का एक और बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता।
लेकिन दो महीने के जद्दोजहद और 38 जवानों की शहादत के बाद भारतीय सेना ने पाक के इस नापाक मंसूबे को विफल किया। अमर उजाला से खास बातचीत में इस ऑपरेशन का हिस्सा रहे सेना के एक  आला अफसर और तीन जवानों ने कहा कि यह ऑपरेशन बहुत कठिन था, जिसे पूरा करने के लिए खास प्लानिंग तैयार की गई थी।

पाक की प्लानिंग, एनएच-1 की सप्लाई काट दो

कारगिल के इस युद्ध में टाइगर हिल ऐसी चोटी थी, जिस पर पाकिस्तान काफी मजबूत और पूरी प्लानिंग के साथ काबिज था। इस चोटी से पाक सेना 20 किमी के दायरे में कहीं भी टारगेटेड गोलाबारी कर सकती थी। नेशनल हाईवे नंबर 1-ए भी इसी चोटी के पास से ही गुजरता है और यही रास्ता लद्दाख को भी जाता है। चूंकि यह रास्ता सर्दियों में अत्यधिक बर्फ की वजह से बंद हो जाता है। इसलिए लद्दाख में तैनात सेना की रसद सामग्री गर्मियों में ही पहुंचा दी जाती है।

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लेकिन पाक की प्लानिंग थी कि टाइगर हिल से नेशनल हाइवे नंबर 1 की सप्लाई लद्दाख से काट दी जाए। उसके  बाद लद्दाख हिंदुस्तान से अलग हो जाएगा और पाकिस्तान उस पर अपना कब्जा करने में कामयाब हो जाएगा। इसी प्लानिंग के चलते मई 1999 से महीनों पहले ही पाक सेना ने टाइगर हिल पर अपनी नफरी बढ़ानी शुरू कर दी थी और मई से ही उसने एनएच-1 पर जबरदस्त गोलाबारी कर इंडियन फोर्स की मुश्किलें बढ़ा दी थी।

इस प्लानिंग से फतह की टाइगर हिल

इस ऑपरेशन में सबसे पहले दो रेजिमेंट शामिल की गई। लेकिन पाक सेना की मजबूत पोजिशन की वजह से दोनों विफल रही। उसके बाद ये टास्क वेस्टर्न कमांड की 8 सिख रेजिमेंट को दिया गया। इस रेजिमेंट ने टाइगर हिल को 5 अलग-अलग दिशाओं से घेरा। प्लानिंग ये थी कि टाइगर हिल पर काबिज पाक सेना की सप्लाई काट दी जाए। इसके लिए 8 सिख रेजिमेंट की तीन टुकड़ियों को टाइगर हिल के साथ लगती हेलमेट और इंडिया पहाड़ी पर भेजा गया।
क्योंकि इन्हीं पहाड़ियों से टाइगर हिल पर काबिज पाक सेना को रसद सामग्री और गोलाबारूद पहुंचता था। पाक सेना को कतई अंदाजा नहीं था कि भारतीय सेना हेलमेट और इंडिया गेट पहाड़ी तक पहुंच जाएगी। गुस्साई पाक सेना ने वहां भारतीय सेना से पराजित होने के बाद 2 बार काउंटर अटैक किए। इस बार पाक जवानों की संख्या भारतीय फौज से 3 गुना अधिक थी। डेढ़ घंटे तक यहां जबरदस्त आमने-सामने की खतरनाक मुठभेड़ हुई। इसमें 8 सिख रेजिमेंट के 1 अफसर, 3 जेसीओ और 30 जवान शहीद हो गए और 80 घायल हुए। जबकि पाकिस्तान के 92 जवान मारे गए और बाकी भाग गए।

झंडा, बर्तन, बारूद सब ले आई सेना

यह ऑपरेशन 2 महीने तक चला। घायल हुए जवान हवलदार मेजर निशान सिंह, हवलदार लखविंद्र सिंह और अमरीकसिंह के बताया कि आमने-सामने के युद्ध का ऐसा मंजर आज तक नहीं देखा गया। इस दौरान पाक जवान टाइगर हिल पर अपना जो झंडा फहराने के लिए लाए थे,  उस झंडे को, पाक के गोला बारूद को और उनके द्वारा वहां बनाए कैंप के बर्तन इत्यादि सामान को भारतीय फौज ने कब्जे में ले लिया, जो आज भी वेस्टर्न कमांड में मौजूद है। मेजर तेज प्रताप सिंह कहते हैं कि ये ऑपरेशन बेहद खतरनाक और शौर्यपूर्ण था।

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