नई दिल्ली: कर्जमाफी और किसानों के लिए आयोग गठित करने की मांग को लेकर शुरू हुआ किसान आन्दोलन अब और तेज होता दिख रहा है। दिल्ली में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत देशभर के 62 किसान संगठनों ने प्रस्ताव पारित कर कहा है कि उनकी मांगे माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। मप्र में किसान आन्दोलन को चलाने वाले राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने कहा कि हमारी प्रमुख मांग यह है कि किसानों को कर्ज के जाल से हमेशा के लिए मुक्ति दी जाए। जब तक मध्यप्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन नहीं लगा दिया जाता और किसानों के लिए आयोग गठित करने की बात नहीं मान ली जाती, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। शिव कुमार शर्मा ने कहा कि कर्ज माफी उनका मुद्दा नहीं है। एक बार कर्ज माफ होने के बाद किसान फिर उसी जाल में दोबारा गिर जाएगा। इसके स्थाई समाधान के लिए एक आयोग का गठन हो जो हर वर्ष किसान के उपज का मूल्य निर्धारित करे। सरकारसिंचाई, खाद और कृषि उपकरणों की कीमत कम करके भी ऐसा समाधान दे सकती है जिससे किसानों की लागत कम आए और उन्हें घाटा न हो। लेकिन सरकार ने अब तक सिर्फ उद्योग पतियों को ही छूट दी है, किसानों को नहीं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 22 ऐसे फैसले लिए हैं जो किसान विरोधी हैं। इनमें विदेश से गेंहू आयत पर शुल्क माफी, तूअर दालों का आयात और किसानों की छूट खत्म करना है।
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हिंसा की आशंका
यह सवाल किये जाने पर कि मध्यप्रदेश की तरह देश के अन्य राज्यों में भी प्रदर्शन के दौरान हिंसा होती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, शिव कुमार शर्मा ने कहा कि उनका प्रदर्शन पूर्ण रूप से शांतिपूर्ण होगा। उन्होंने अपनेसंगठन के लोगों से कहा है कि अगर किसी भी प्रकार की हिंसा हुई तो वे खुद को आंदोलन से अलग कर लेंगे। उन्होंने कहा कि लेकिन अगर आन्दोलन में कोई उपद्रवी तत्व शामिल होता है तो उससे निबटने की जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भी सरकार ने कांग्रेस जैसे राजनितिक दलों पर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि ये पूर्ण रूप से गैर राजनीतिक प्रदर्शन है। उन्हें किसी राजनीतिक दल का सहयोग नहीं चाहिए क्योंकि हर दल ने देश पर शासन किया है और किसान हर दल के शासन में उपेक्षित रहा है। उन्हें किसी दल से समर्थन की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल उनके आन्दोलन से दूर ही रहें।