कर्नाटक में एक दो साल के बच्चे और बंदरों के बीच दोस्ती ने सभी को चौंका दिया है. कर्नाटक के धारवाड़ जिले के अल्लापुर गांव में दो साल के समर्थ बंगारी का बंदरों के साथ खास लगाव यहां के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं.
खास बातें :
बंदर और दो साल के बच्चों के बीच अजीब रिश्ता
बच्चे से मिलने दिन में दो बार आते हैं बंदर
घर के दूसरे सदस्यों के करीब नहीं जाते बंदर
अल्लापुर (कर्नाटक). बंदर और इंसानों के बीच का रिश्ता खास नहीं रहा है. अक्सर बंदरों को लोगों को नुकसान पहुंचाते ही देखा गया है. लेकिन कर्नाटक में एक दो साल के बच्चे और बंदरों के बीच दोस्ती ने सभी को चौंका दिया है. कर्नाटक के धारवाड़ जिले के अल्लापुर गांव में दो साल के समर्थ बंगारी का बंदरों के साथ खास लगाव यहां के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं.
समर्थ के माता-पिता सुनील और नंदा बंगारी किसान हैं. उन्होंने कुछ महीनों पहले देखा कि उनका छोटा बेटा घर के बाहर मैदान में करीब एक दर्जन लंगूरों के साथ खेल रहा है. वह लंगूरों के साथ खेलने के दौरान बहुत ही सहज था. समर्थ के चाचा मल्लिकार्जुन रेड्डी ने बताया कि शुरुआत में हमें चिंता होती थी कि कहीं बंदर हमारे बच्चे को नुकसान ना पहुंचा दें. लेकिन, फिर हमें अहसास हुआ कि बंदर उसे पसंद करते हैं और उनको एक-दूसरे का साथ पसंद है.
मिलने आते हैं बंदर
समर्थ का गांव राजधानी बंगलुरु से उत्तर पश्चिम में 400 किलोमीटर दूर स्थित है. हर रोज समर्थ के घर के नजदीक के खेतों के बंदर गांव में उसके घर के बाहर जमा हो जाते हैं. रेड्डी ने कहा, “हर रोज सुबह 6 बजे लगभग 20 बंदर घर के बाहर समर्थ के साथ खेलने के लिए जमा हो जाते हैं और वह बच्चे के सिवाय घर के किसी दूसरे सदस्य के करीब नहीं जाते.”
बंदरों से अजीब रिश्ता
बंदर हर दिन दो बार, सुबह व शाम बच्चे को देखने के लिए आते हैं, बच्चा भी अपना खाना उन्हें खिलाता है. रेड्डी ने कहा कि कई दिन ऐसे होते हैं जब समर्थ अपने छह महीने के छोटे भाई के बजाय बंदरों के साथ ज्यादा समय बिताता है.
भगवान हनुमान का आशिर्वाद!
बच्चे के मामा ने कहा कि बीते कुछ महीनों से लंगूर, समर्थ से मिलने आते हैं और उन्होंने एक बार भी उसे नुकसान नहीं पहुंचाया है. रेड्डी ने कहा, “गांव के लोग समर्थ के बंदरों के साथ संबंध को देखकर चकित हैं. उनका मानना है कि उस पर भगवान हनुमान का आशीर्वाद है.”
दूर-दूर से आ रहे लोग
उन्होंने कहा कि इस विशेष दोस्ती की बात फैलने के बाद से हर रोज राज्य भर से लोग समूहों में गांव में पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा, “हमारे यहां आसपास के गांवों, हुबली, बंगलुरु व दूसरे जिलों से लोग समर्थ के बंदरों से प्यार को देखने आ रहे हैं.”
बंदरों के लिए खाने का इंतजाम
बच्चे के जानवरों के प्रति लगाव के अहसास से अब परिवार भी बंदरों के लिए खाना बनाने लगा है. रेड्डी ने कहा, “हम हर रोज करीब 20 लंगूरों को खिलाने के लिए 100 रोटियां बनाते हैं.” उन्होंने कहा कि परिवार इन बंदरों के बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार को देखकर बहुत ही खुश है, जो आम तौर पर लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं. रेड्डी ने कहा, “मेरा परिवार बच्चे व बंदरों की इस अनोखी दोस्ती के मशहूर होने से बहुत ही खुश है क्योंकि दूसरे जिलों से लोग इसे देखने आ रहे हैं.”