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Monday, October 7, 2024

​कर्नाटक में गठबंधन के बाद बसपा ने यूपी में भी दी संभावनाओं को हवा

लखनऊ (जेएनएन)। अपने राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को बरकरार रखने के लिए हर संभव कोशिशों में जुटी बहुजन समाज पार्टी के लिए कर्नाटक में जद (एस) से गठबंधन मजबूरी हो सकती है लेकिन, इस फैसले ने प्रदेश में भी ऐसी संभावनाओं को हवा दे दी है। वर्ष 2007 के बाद बसपा का वोटों का ग्राफ प्रदेश में लगातार गिरा है और यह पार्टी के लिए चिंता का विषय है। इसलिए यदि चुनाव से पहले बसपा प्रमुख किसी से भी गठबंधन न करने के अपने फैसले के प्रति नरम नजर आएं, तो कोई अचरज की बात नहीं होगी। पार्टी नेताओं में भी कर्नाटक में गठबंधन को लेकर चर्चाएं हैैं।
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और वहां की स्थितियों के हिसाब से बसपा ने दूर की कौड़ी फेंकी है। वहां जिन बीस सीटों पर पार्टी चुनाव लडऩे जा रही है, उनमें आठ सुरक्षित सीटें हैैं। कर्नाटक में दलितों की संख्या भी काफी है। यदि इस गठबंधन के परिणाम अच्छे निकले और बसपा को कुछ सीटें हासिल करने में भी सफलता मिली तो इसका संदेश दूर तक जाएगा। प्रदेश में दलित मतों को एक जुट करने में यह संदेश सहायक साबित होगा। इसके बाद पार्टी अपनी रणनीति में परिवर्तन की जरूरत महसूस कर सकती है। पार्टी के एक नेता कहते हैैं कि छोटे दलों का साथ मिलना पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।

प्रदेश की सियासत में बसपा के लिए गठबंधन का अनुभव पुराना है और वह अलग-अलग चुनावों में सपा और कांगे्रस को जोड़ चुकी है। वर्ष 2007 में बहुजन समाज पार्टी ने अपने बूते सत्ता हासिल की थी लेकिन, उसके बाद से उसके मत बिखरते चले गए। इस चुनाव में जहां उसे 30.43 फीसद मत हासिल हुए थे, वहीं 2012 में यह घटकर 25.19 हो गया और पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। 2017 में बसपा को और कम 22.23 प्रतिशत ही मत मिल सके। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई, इसी वजह से उसके राष्ट्रीय दल के दर्जे पर भी संकट है। मतों के लिए नई रणनीति पर काम करना उसकी मजबूरी है, जो कर्नाटक में गठबंधन की एक बड़ी वजह भी बनी है।

गौरतलब है कि फूलपुर और गोरखपुर में होने वाले उप चुनावों को लेकर भी संभावनाएं जताई गई थीं कि इसमें बसपा गठबंधन कर सकती है, लेकिन पार्टी ने उप चुनाव लडऩे से ही इन्कार कर दिया। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर ने यूपी में गठबंधन जैसे अनुमानों को समय से पहले की बात करार देते हैैं। वे कहते हैैं-‘सब जानते हैैं कि बहनजी ही इस बारे में कोई निर्णय कर सकती हैैं।

 

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