शरद मिश्रा”शरद”
निघासन खीरी:NOI- रामलीला मेले में स्वर्गीय डाक्टर इंद्रदेव त्रिपाठी की स्मृति में विराट कवि संमेलन का आयोजन किया गया। इस आयोजन का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रतिनिधि के रूप में पधारे भाजपा नेता नागेंद्र सिंह सेंगर न दीप जलाकर किया। कवित्री रंजना हया ने सरस्वती मां की कविता पाठ पढ़कर कवि संमेलन की शुरूआत की।
आए हुए अतिथितियों का तिलक व शाल उढाकर संमान किया गया। हाथरस से पधारे प्रसिद कवि विष्णू सक्सेना ने कहा तपती हुई जमी है जलधार बांटता हूं, पतमुर के रास्तों पर मैं जलधार बांटता हूं।
राजनीति पर व्यंग्य करते हुए कवि अनिल अमल ने कहा निष्ठाओं की छाती पर जब चाटुकार चढ़ जाते हैं, शकुनी के पासों के बल पर अहंकार बढ़ जाते हैं। कवि सर्वेश कुमार त्रिपाठी ने कहा धर्म की साधना जागती तो मिले,राम जी जैसा कोई यती तो मिले। आलोक पंडित ने पढ़ा वो समझदार है और हम उल्लू हैं,वो अकलमंद है और हम हुडुक चुल्लू हैं। कवि प्रसाद गंजरहा ने कहा अगर शहीदों की मजार पर मेले यहां लगे होते, गांधी बाबा के बंदर भी थोड़ा बहुत जगे होते। श्रंगार की प्रसिद्व कवित्री रंजना हया ने कहा कटे नीम के पेड द्वार के, झुंड घूमते चिड़ीमार के। दादी दादा भाई बप्पा, जहर मिलाते दाना दाना, मत आना इस देश चिरइया मता आना। कवि कुलदीप समर ने कहा जहां गरीबों के घर न दाल न चावल और न आटा है। राजनीति का लोकतंत्र पर यही करारा चाटा है। कवि ज्ञान प्रकाश आकुल ने कहा कि मानता हूं कुछ भी हमारे लिए, गंगा गीता गाय और गायत्री गणेश से बड़ा नहीं है। किंतु जब आर्त है पुकराती है भारती तो कोई धर्म देश से बड़ा नहीं।
कवि सम्मेलन का संचालन प्रसिद्ध कवि विकास बोझड़ ने किया।
कवि संमेलन में संगम लाल मिश्रा, योगेश दीक्षित, एके चैबिया, दामोदर प्रसाद वर्मा, संतोष बाथम, समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
पत्रकारों में विमल मिश्रा, के.के मौर्य, सुरजीत सिंह”चानी”, मनोज जयसवाल, दिलीप यादव, शरद मिश्रा, राकेश मौर्य, सददाम हुसैन, अख्तर अली, राजू गिरी, विनोद गुप्ता, सुरेश गुप्ता, सुनील मौर्य, मनोज वर्मा के साथ निघासन क्षेत्र के समस्त पत्रकार मौजूद रहे।