दीपकठाकुर, न्यूज़ वन इण्डिया। वोट बैंक की राजनीती का सिला इतना घिनौना होगा इसका अंदाज़ा शायद पार्टियों को तो होता होगा पर आम आदमी को उसकी भनक तक नही होती।उसको तभी पता चलता है जब उनकी कारगुजारी खुल के जनता के सामने आती है ठीक ऐसा ही हुआ ढोंगी बाबा राम रहीम के मामले में।
सन 2007 में ही एक निजी चैनल ने इस बाबा के कारोबार का काला चिट्ठा खोल कर दिया था मगर उस वक़्त की कांग्रेस सरकार ने उस मामले में संजीदगी नही दिखाई और बाबा बेल लेकर फिर अपने कुकर्मो को अंजाम देने की जुगत में लग गया और 10 साल तक उसने फिर इंसानियत और भरोसे को शर्मसार करने वाला नगा नाच खेला लड़कियों की इज़्ज़त लूटने से लेकर लोगों की हत्याएं तक इस ढोंगी बाबा के कहने पर की गई जो बात खुद उसके ड्राइवर में कुबूली थी।
सरकार अगर लचर रहेगी तो कानून व्यवस्था का हाल क्या होगा ये कांग्रेस की सरकार बता चुकी है पर अब किस मुह से वर्तमान सरकार पर आरोप लगाती है ये भी उसकी बेशर्मी की इंतहां है यहां ये कहना के सिर्फ कांग्रेस ही इस मामले में दोषी है ये गलत होगा क्योंकि वोट बैंक की भूख हर पार्टी में कूट कूट कर भरी होती है वोट के लिए पार्टियां किसी के भी आगे झुक जाते हैं और किसी को भी झुका लेते हैं पर कम से कम उन एजेंसियों पर तो इसका साया ना पड़ने दिया करिये जो जुर्म को रोकने के लिए बनी है।
अब तक आसाराम और राम रहीम सहित कई दागी बाबा मिले जिनको पार्टियों का संरक्षण दिखाई देता था बाबाओं से पार्टियों के सम्बंध उनको राजनैतिक लाभ पहुंचते थे तो वहीं पार्टीयों को वोट बैंक की गारंटी की लालच दिखाई पड़ती थी आस्था के नाम पर खिलवाड़ करने वालो को राजनैतिक संरक्षण देना बंद करिये इससे आस्था तो धुमिल होती हैं साथ ही आपकी साख पर भी बदनुमा दाग लगता है।