फूलपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी बनाने की मुहिम तेज कर दी है। कांग्रेस इस कद्दावर ब्राह्मण नेता को दिल्ली बुलाया है। माना जा रहा है कि पार्टी फूलपुर संसदीय सीट पर इस नेता को प्रत्याशी बना सकती है। खास बात है कि यूपी के तीन बड़े दल इस चुनाव में एक प्रत्याशी पर दांव लगा सकते हैं।
फूलपुर संसदीय सीट को बीजेपी के कब्जे से छीनने के लिए कांग्रेस ने खास रणनीति बनायी है। फूलपुर संसदीय सीट कभी कांग्रेस की मानी जाती थी, लेकिन समय के साथ कांग्रेस अपने ही गढ़ में बिखरती गयी। कांग्रेस पार्टी खुद को संसदीय चुनाव २०१९ से पहले इतना मजबूत करना चाहती है, जिससे पीएम मोदी को फिर से सत्ता पाने से रोका जा सके। इसी क्रम में कांग्रेस ने अपने सबसे कद्दावर ब्राह्मण नेता को फूलपुर संसदीय सीट पर प्रत्याशी बनाने की तैयारी की है। कांग्रेस ने प्रमोद तिवारी को ही फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ाने की योजना बनायी है। अटकले इस बात की भी लग रही है कि बीएसपी भी कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दे सकती है, यदि ऐसा होता है तो बीजेपी की नींद उडऩा तय है।
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बुलावे पर प्रमोद तिवारी दिल्ली रवाना
पत्रिका ने ही सबसे पहले प्रमोद तिवारी को फूलपुर संसदीय सीट पर प्रत्याशी बनाने की बात लिखी थी। इसी बीच कांग्रेस के कांग्रेस कद्दावर नेता प्रमोद तिवारी को दिल्ली बुला लिया गया है जिसके बाद से कयासो को और बल मिल गया है। प्रमोद तिवारी भी आलाकमान के निर्देश को मानते हुए दिल्ली रवाना होने में देरी नहीं की है।
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सपा व बसपा का मिल सकता है समर्थन
संसदीय चुनाव से पहले महागठबंधन की बात हो रही है। यूपी के संसदीय सीट की बात की जाये तो महागठबंधन में कांग्रेस के अलावा सपा व बसपा शामिल हो सकती है। सूत्रों की माने तो फूलपुर संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव में महागठबंधन अपनी ताकत आजमा सकता है। राहुल गांधी व अखिलेश यादव की राजनीतिक दोस्ती जग जाहिर है और बसपा भी कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दे सकती है इन परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी प्रमोद तिवारी को फूलपुर संसदीय सीट पर चुनाव लड़ाती है तो सपा व बसपा का समर्थन मिल सकता है।
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जानिए प्रमोद तिवारी पर कांग्रेस क्यों लगा सकती है दांव
कांग्रेस में प्रमोद तिवारी को कद्दावर ब्राह्मण नेता माना जाता है। प्रमोद तिवारी लगातार १० बार से प्रतापगढ़ के रामपुर खास विधानसभा सीट से विधयाक बनते आये थे। इसके बाद वह अपनी बेटी के लिए इस सीट से इस्तीफा देकर खुद सपा के सहयोग से राज्यसभा चले गये हैं। इलाहाबाद के सिविल लाइंस में प्रमोद तिवारी को निजी आवास है। प्रतापगढ़ के बाद प्रमोद तिवारी अधिक समय इलाहाबाद में ही बीताते है। इसके चलते इलाहाबाद की राजनीति में प्रमोद तिवारी को नाम नया नहीं है। फूलपुर संसदीय सीट पर सबसे अधिक मतदाता पटेल है और उसके बाद ब्राह्मण वोटरों का नम्बर आता है। प्रमोद तिवारी इस समीकरण में भी फिट बैठते हैं। फिलहाल सबकी निगाहे प्रमोद तिवारी के दिल्ली जाने पर टिकी हुई है अब देखना है कि कांग्रेस पार्टी अधिकृत रुप से क्या निर्णय लेती है।
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