वाराणसी. गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में बीजेपी ने पहली बार सपा व कांग्रेस के गढ़ में चुनाव जीता था उसके बाद बीजेपी को यूपी चुनाव २०१७ में प्रचंड जीत मिली है। लगातार जीत से उत्साहित बीजेपी के लिए अब कड़ी परीक्षा का समय आ गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या दोनों ही संसदीय सीट खाली होने वाली है, जिस पर जल्द ही उपचुनाव होना है। बीजेपी के लिए फूलुपर के साथ गोरखपुर संसदीय सीट भी प्रतिष्ठा का प्रश्र बन गयी है पहली बार इस सीट पर गोरक्षापीठ के महंत की जगह अन्य व्यक्ति चुनाव लड़ेगा। ऐसे में जनता कितना साथ देती है इस पर भी सबकी निगाहें लगी है।
बीजेपी के लिए सबसे खास सीट गोरखपुर की है। गोरखापीठ के महंत अवैद्यनाथ ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद किसी भी दल की लहर हो, उन्हें कोई हरा नहीं पाया था। इसके बाद १९९८ से सीएम योगी आादित्यनाथ ने इस सीट पर जीत का जो सिलसिला शुरू किया है वह अभी तक जारी है। सीएम योगी आदित्यनाथ एमएलसी बन चुके हैं। साफ है कि गोरखपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव होगा। इस चुनाव में संभावना है कि सपा, कांग्रेस व बसपा मिल कर चुनाव लड़ सकती है ऐसा होता है तो सीएम योगी के लिए भी अपने गढ़ को बचाना आसान नहीं होगा।
सपा व कांग्रेस की सीट पर पहली बार फहरा था भगवा
फूलपुर संसदीय सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी बाद में यहां पर सपा का कब्जा हो गया। इस सीट पर पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू तीन बार चुनाव जीते थे उसके बाद जनता दल, बसपा व फिर सपा का कब्जा हुआ। संसदीय चुनाव २०१४ में पहली बार केशव प्रसाद मौर्या इस सीट से चुनाव जीते थे, लेकिन एमएलसी बन जाने के बाद यह सीट खाली हो गयी है और इस सीट पर बीजेपी को उपचुनाव का सामना करना होगा। यूपी की बीजेपी सरकार ने पहले के जादू को बरकरार रखने का प्रयास किया है, लेकिन कितनी सफलता मिली है यह उपचुनाव में पता चलेगा।
आसान नहीं है बीजेपी की राह
बीजेपी को विधानसभा की जगह संसदीय चुनाव लडऩा अधिक पसंद होता है इसलिए बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ व केशव प्रसाद मौर्या को विधानसभा नहीं विधान परिषद् भेजा है। बीजेपी जानती है कि संसदीय चुनाव में पीएम मोदी के नाम पर वोट मिल सकता है, लेकिन यूपी की जो स्थिति है उसमे विधानसभा के लिए वोट मांगना कठिन हो गया है। विपक्ष में जो बिखराव था वह भी खत्म हो सकता है और सपा, कांग्रेस व बसपा जैसे दल साथ मिल कर चुनाव लड़ सकते हैं। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए नगर निगम व दो संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव की बड़ी परीक्षा पास करनी होगी। यह दोनों चुनाव सीएम योगी का भविष्य भी तय कर सकता है।