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Tuesday, October 15, 2024

​कावेरी जल विवाद: क्यों है पानी की लड़ाई, जो 120 सालों से सुलझी नहींं?

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कावेरी जल विवाद का एक लंबा इतिहास है। ये इतिहास बताता है कि कैसे चार राज्यों के बीच एक नदी, कावेरी नदी विवादित हो गई और वजह बना पानी का बंटवारा।
क्या है इतिहास:

इतिहास में झांकें तो कावेरी नदी के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ। तब ब्रिटिश राज था और ये मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर राज के बीच ये नदी विवादित थी। लेकिन 1924 के समझौता के बाद इस विवाद में दो राज्य और शामिल हो गए और विवाद गहराता चला गया।

क्या है विवाद:

कावेरी नदी विवाद मुख्यत: तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच लड़ाई का कारण बनी है। बता दें कि वजह कावेरी नदी का पानी को लेकर है जिसका उद्गम स्थल कर्नाटक के कोडागु जिले में है। लगभग साढ़े सात सौ किलोमीटर लंबी ये नदी कुशालनगर, मैसूर, श्रीरंगापटना, त्रिरुचिरापल्ली, तंजावुर और मइलादुथुरई जैसे शहरों से गुजरती हुई तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

इसके बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका शामिल है। कर्नाटक और तमिलनाडु, दोनों ही राज्यों का कहना है कि उन्हें सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है और इसे लेकर दशकों के उनके बीच लड़ाई जारी है।

कर्नाटक सरकार का कहना है कि साल 2016 में भयंकर सूखे की मार झेल रहे कर्नाटक को सिंचाई के लिए पानी की कमी झेलनी पड़ी जिसके बाद उसने तमिलनाडू को पानी देने से मना कर दिया। जिसके बाद तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

दूसरे प्रदेश भी विवाद में कूदे:

पानी के बंटरवारे का विवाद मुख्य रूप तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच है लेकिन चूंकि कावेरी बेसिन में केरल और पुद्दुचेरी के कुछ छोटे-छोटे से इलाके शामिल हैं तो इस विवाद में वो भी कूद गए हैं।

कर्नाटक और तमिलनाडु फैसले से खुश नहीं

जून 1990 में केंद्र सरकार ने एक कावेरी ट्राइब्यूनल बनाया था जिसने 16 साल की सुनवाई के बाद 2007 में फैसला दिया कि प्रति वर्ष 419 अरब क्यूबिक फीट पानी तमिलनाडु को दिया जाए जबकि 270 अरब क्यूबिक फीट पानी कर्नाटक के हिस्से जाए। लेकिन कर्नाटक और तमिलनाडु, दोनों ही ट्राइब्यूनल के फैसले से खुश नहीं थे और उन्होंने समीक्षा याचिका दायर की थी।

फिर 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाले कावेरी नदी प्राधिकरण ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि वो रोज तमिलनाडु को नौ हजार क्यूसेक पानी दे। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को इसके लिए झाड़ भी लगाई थी कर्नाटक सरकार के माफी मांगते हुए और पानी की पेशकश की थी लेकिन इसे लेकर वहां हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए और मुद्दा सुझला नहीं।

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