लखनऊ,दीपक ठाकुर:NOI। भारत देश का स्वर्ग कहा जाने वाला काश्मीर इन दिनों भारतीय सेना के लिए संघर्षशाला केंद्र बनता नज़र आ रहा है हमारी सेना वहां अमन चैन स्थापित करने के लिए चौबीसों घण्टे मुस्तैद रहती है जिसके बदले में उसे पत्थर लात घूँसे मिलते हैं ये बात वो तस्वीरे बयान कर रही है जो इन दिनों मीडिया और सोशल मीडिया में सुर्खी बटोरती नज़र आ रही हैं।
अभी कुछ दिन पहले काश्मीर का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे हमारे सैनिक को कुछ लोग पीटते नज़र आ रहे थे उस पर कई चैनलों ने एक एक घण्टे का विशेष पैकेज चलाया लोगों को बुलाया नेताओ की राय ली पर उसमे भी यही लगा कि नेता लोग इस बात को लेकर उतने सीरियस नही है जितना कार्यक्रम चलाने वाला एंकर था।खैर प्रोग्राम खत्म हुआ बात भी ख़त्म हो गई।
अब इधर के दिनों में वायरल हुई वीडियो और तस्वीरों की बात कर लीजिए तो एक वीडियो था जिसमे वहां पुलिस की गाड़ी पर महिलाओं और बच्चों बच्चियों द्वारा जम कर पत्थर बाज़ी की गई और हमारी सेना के जवान जान बचा कर भागते नज़र आ रहे थे यही हाल तस्वीरों का है आये दिन सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीर आती है जिज़ देख कर सबका खून खौलने लगता है ये सोच कर की हमारी सेना के जवान हथियारों से लैस हो कर भी वहां के उपद्रवियों से मार खा रहे हैं मार भी ऐसी के कितने जवान घायल तक हुए जा रहे है अब सवाल ये है कि हमने वहां जवानों की तैनाती मार खाने के लिए की है या माहौल बिगाड़ने वालों को सबक सिखाने के लिए और दूसरी बात सेना के जवानों की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो सबकुछ होते हुए भी लाचारी से पिटने को वो मजबूर है आप बताइए कौन देगा इसका जवाब।
रही बात सरकार की तो केंद्र में भाजपा की सरकार है और काश्मीर में भी भाजपा के सहयोगी की सरकार है तो जब दोनों जगह भाजपा की ही सरकार है तो आखिर भाजपा सरकार मूक दर्शक क्यों बनी हुई है ये हमारे पल्ले नही पड़ रहा आप विपक्ष में बैठकर तो बड़ी बड़ी बात करते है पर जब करने की बारी आती है तो मजबूर नज़र आते है आखिर क्यों? क्या हमारा जवान सेना में शहीद होने और पत्थर खाने के लिए ही जाता है क्या,क्या जवान के मान सम्मान और जान की आपकी नजर में कोई कीमत नही बताइये आज देश जवानों की ऐसी तस्वीर देख कर काफी गुस्से में है और जानना चाहता है कि हमारी सरकार कहाँ कहाँ और किस किस से मजबूर है जो ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए है।