शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI- गन्ना किसानों के अधिकार दिलाने के लिए बनाई गई गन्ना समिति खुद ही लाचार हो गई है। वह अपने ही बकाया करोड़ों रुपये वसूलने में नाकाम साबित हो रही हैं, तो किसानों पर हो रहे शोषण को कैसे रोक पाएंगी। शासन की गन्ना नीति के नियम और समिति अधिकारियों के प्रयासों के बावजूद चीनी मिल प्रबंधन के अड़ियल रवैये के आगे समिति फ्लाप साबित हो रही हैं। सहकारी गन्ना विकास समिति ऐरा को वर्ष 2016-17 का तीन करोड़ 65 लाख रुपये कमीशन चीनी मिल ने अब तक भुगतान नहीं किया है।
मिल मालिकों के गन्ना खरीदने में किसानों को शोषण से बचाने के लिए गन्ना समितियों का गठन किया गया है, जो गन्ना किसानों को समय से गन्ना मूल्य भुगतान और गन्ना विकास योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ दिलाने के लिए चीनी मिल और किसानों के बीच सेतु का कार्य करती हैं। धीरे-धीरे मिल प्रबंधन की मनमानी के आगे समिति के अधिकार लगातार सिकुड़ते जा रहे हैं। शासन ने भी समिति के अधिकारों को लेकर उदासीन रवैया अपनाया हुआ है, जिससे समितियों के कई अधिकार मिल प्रबंधन के पास पहुंच गए हैं। इसका नतीजा है कि गन्ना किसानों को पर्चियां नहीं मिल पा रही हैं और भागदौड़ करने पर गन्ना किसानों की सुनवाई नहीं हो रही है। वजह है कि समिति के सचिव अपने सीमित अधिकारों को हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। इसी तरह उपज बढ़ोत्तरी और बांडिंग में चीनी मिलें अपनी मनमानी बदस्तूर जारी रखे हुए हैं। मिल की मनमानी की वजह से गन्ना किसानों को समिति से निराशा हाथ लग रही है।
इस वर्ष भी करोड़ों रुपये बकाया
वर्ष 2017-18 में गन्ना विकास कमीशन चार रुपये से बढ़ाकर 5.10 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। ऐरा समिति का गन्ना विकास कमीशन 3.65 करोड़ रुपये ऐरा मिल पर ड्यू हो चुका है, जबकि मिल ने समिति को सिर्फ 21.68 लाख रुपये भुगतान किया है। पिछले वर्ष का भी 3.65 करोड़ रुपये बकाया है।