कुंवारी लड़कियां क्यों नहीं छूतीं शिवलिंग , धार्मिक रीति-रिवाजों को लोग विशेष महत्ता प्रदान करते हैं। धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी धार्मिक कार्य को करते समय उसके नियमों का पालन करना आनिवार्य है। धार्मिक शास्त्रों में उल्लेखित किसी भी बात को अनदेखा करना उस जातक के लिए ही नुकसानदेह है, जो किसी विशेष पूजा से वरदान की अपेक्षा रखता है। अकसर कुंवारी कन्याएं अच्छा पति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा करती हैं। सोलह सोमवार व्रत भी रखती हैं। शिवलिंग पर रोज जल, बेल पत्र आदि चढ़ाती हैं।
इन सबके पीछे एक ही मकसद होता है भोलेनाथ को प्रसन्न करना। लेकिन कहते हैं कि शिवलिंग के स्पर्श से कुंवारी लड़कियों दूर ही रहना चाहिए। आइए जानते इसके पीछे की पूरी कहानी।
कहा गया है कि अविवाहित महिलाओं को शिवलिंग के पास इसलिए नहीं आना चाहिए, क्योंकि शिव सबसे पवित्र और हर वक्त तपस्या में लीन रहते थे। शिव मंदिरों में ध्यान और पूजा की जाती है, इसलिए ये जगह बहुत पवित्र और आध्यात्मिक मानी जाती है। इसलिए वह शिव की पूजा तो कर सकती हैं लेकिन मां पार्वती के साथ कर सकती है। पूजा के समय सतर्कता भगवान शंकर के ध्यान के दौरान यह सावधानी रखी जाती थी कि कोई भी देवी या अप्सराएं भगवान के ध्यान में विग्न ना डालें।
पुराणों से संबंधित पूजा में यह माना जाता है कि अनजाने में भी कई गलती बहुत बड़े विनाश का कारण बन सकती है। इसलिए पुरानी मान्यताओं के मुताबिक महिलाओं का शिवलिंग के पास आना माना है।
लिंग पुराण के अनुसार सारे पुरुष शिव के ही अंश हैं और औरते पार्वती हैं। रामायण में सीता द्वारा शिव जी की पूजा का उल्लेख है, कि उन्होंने शिव और कात्यायनी (पार्वती) के लिए पूजा की थी। रामेश्वरम में रेत का शिवलिंग माना जाता है कि रामेश्वरम में रेत से सीता जी ने शिवलिंग बनाया था। जिसका श्री राम ने पूजन किया था।