नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने बुधवार को तीन साल पूरे कर लिए। इन तीन सालों में केजरीवाल में कई परिवर्तन देखने को मिले। जिसमें सबसे अहम है वे अब एक शांत व्यक्ति हो गए हैं। कभी नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेकर तीखे वार करने वाले वाले केजरीवाल के बयानों से पीएम मोदी का नाम गायब है। सोशल प्लेटफॉर्म में एक्टिव रहने वाले केजरीवाल के ट्विटर पर 1 करोड़ तीस लाख फॉलोवर हैं। वह देश में हो रही हलचल पर ट्विटर के जरिए अपनी राय रखते रहतें हैं।
11 महीनों से एक भी बार केजरीवाल ने ‘मोदी’ शब्द ट्वीट नहीं किया
इकनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, बीते 11 महीनों से एक भी बार केजरीवाल ने ‘मोदी’ शब्द ट्वीट नहीं किया है। उन्होंने मोदी का जिक्र करते हुए अपना अंतिम ट्वीट 9 मार्च, 2017 को किया था। केजरीवाल ने 2016 में मोदी का जिक्र अपने ट्वीट में 124 बार व 2017 में 33 बार किया था। उन्होंने इन सभी ट्वीट में पीएम मोदी की आलोचना की है। पार्टी के नेताओं व राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बदलाव केजरीवाल ने आप के चुनावों में नुकसान के बाद किया गया है। मोदी को लेकर ट्वीट में जैसे, मोदी ने दिल्ली में आपातकाल घोषित किया, तानाशाह मोदी सरकार, क्या मोदी सरकार विरोधी सेना नहीं है, को अपने ट्वीट में शामिल नहीं कर रहे हैं।
2017 और 2018 में किसी भी ट्वीट को मोदी को ट्विटर अकांउट पर टैग नहीं किया
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी को लेकर ट्वीट की वजह से आप को सबसे पहले पंजाब व गोवा फिर दिल्ली के नगर निगम चुनावों व 2017 के राजौरी गार्डेन के उपचुनाव में नुकसान हुआ था। ऐस और चौंकाने वाली बात कि केजरीवाल ने 2017 और 2018 में किसी भी ट्वीट को मोदी को ट्विटर अकांउट पर टैग नहीं किया है। साल 2016 में केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को आठ बार टैग किया था। पीएम मोदी पर निजी तौर पर हमला करने वाले केजरीवाल ने आप के 20 विधायकों को जनवरी में अयोग्य करार दिए जाने के भी प्रधानमंत्री पर निजी तौर पर हमले से परहेज किया।
यह काम एक रणनीति के तहत किया जा रहा है
केजरीवाल औऱ आम आदमी पार्टी के ट्विटर अकाउंट से जो ट्वीट किए गए उनमें कहा गया कि, उनके विधायकों को केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर अयोग्य करार दिया गया है। पार्टी के नेताओं व कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह एक रणनीति के तहत किया जा रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि, यह फैसला पार्टी के नगर निगम चुनावों में करारी हार के बाद की गई मंत्रणा बैठक में लिया गया। आपको बता दें कि इन चुनावों में आप को 48 सीटों मिली थी, जबकि भाजपा ने 181 सीटों पर जीत दर्ज की थी। आप के एक नेता ने बताया कि मोदी पर हमले से हमें कोई फायदा नहीं हो रहा था, इसके बजाय हमने शासन पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। दिल्ली के लोगों को राज्य में हो रहे कामों के बार में बता रहे हैं।