लखनऊ, दीपक ठाकुर। बड़ा कष्ट होता है आम आदमी को उस वक़्त जब वो घर से निकलता है बाजार से सब्जी खरीदने।हाथ मे झोला थाम कर और कुछ रुपये साथ लेकर जब वो सब्ज़ी की दुकान पहुंचता है तो हरी भरी सब्ज़ी देख कर मन प्रफुल्लित हो उठता है पर जब वो उसे खरीदने का प्रयास करता है तब वही प्रफुल्लित मन सनकोचित हो जाता है क्योंकि सब्ज़ियों के दाम आसमान जो छू रहे हैं।
हमको याद है एक बार बढ़े प्याज़ की कीमत ने सरकार का चैन छीन लिया था तब से प्याज़ तो उछलना भूल गया पर उसकी जगह अन्य सब्ज़ियां ऐसा उछाल मार रही है कि इंसान पूरी थाली ही नही सजा पा रहा।दाम सुन के आपके भी होश फाख्ता हो जाएंगे ऐसे दाम उन सब्ज़ी वालों के मुह से सुनाई देते हैं।100 रुपये का नोट ले के जायेगा तो घर मे सिर्फ आलू और तरोई ही ला पायेगा क्योंकि टमाटर खुद बड़ा कीमती है आजकल तो परवल और भिंडी की क्या बात बताई जाये।
फूल गोभी भी इनकी देखादेखी अपने भाव बड़ा बैठी है और बैगन भी बिना स्वाद के सिर पे चढ़ कर बैठ गया है थोड़ा शायराना अंदाज़ इस लिए आ गया मेरी लेखनी में क्योंकि इस महंगी सब्ज़ी ने घर का सारा सिस्टम ही हिला रखा है।दाल चावल पहले क्या रुलाते थे जो सब्ज़ी ने भी अपना रंग दिखा दिया हम सपने सजाए थे अच्छे दिन आने के पर इन बढ़ते भाव ने तो सपने दिखाना ही बंद कर दिया।
सरकार से गुजारिश है कि आप माननीय लोग जितने में भर थाली खा लिया करते हैं उतने में हम गरीब आदमी सिर्फ धनिया और मिर्चा ही ला सकते हैं आपके वादे में कुछ फर्क सा नज़र आ रहा है सब्ज़ी गरीबों को भी खाने दो आपको छःपन्न भोग खाने से कौन रोक रहा है।सब्ज़ी में हो रही लूट का कारण तो बताइये अरे दो वक्त ना सही पर एक ही वक़्त में पूरी थाली तो सजाइये।