लखनऊ, दीपक ठाकुर।उत्तर प्रदेश की बागडोर इस बार किसके हाथ में होगी ये अभी से कह पाना काफी मुश्किल लगता है क्योंकि हर पार्टी अपने अपने दावों के साथ चुनावी राण में कूद चुकी है कुछ अपने पिछले कार्यकाल का हवाला दे रहे हैं तो कुछ भविष्य की योजनाओं पर ज़ोर दे रहे है।
पर सबसे ज़्यादा जिस पार्टी को यू पी की सत्ता की चाह है और जो उसके प्रतिष्ठा की बात भी है वो है समाजवादी पार्टी। समाजवादी पार्टी ने पिछले पांच साल में उत्तर प्रदेश की जनता को क्या क्या दिया उसी का लेखा जोखा ले कर अखिलेश चुनाव जीतने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं हालांकि उनके इस प्रयास को शुरूआती दौर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा पर फिर भी अखिलेश का मज़बूत आत्मविश्वास ही था जो सारी अड़चने आसानी से साफ़ होती गई और वो चुनावी राह में निकल पड़े इस बार अखिलेश ने चुनाव से पहले हाथ का भी साथ ले लिया।
इस साथ से और चाचा शिवपाल के साथ हुए मतभेद से पिता मुलायम सिंह यादव उनसे नाराज़ भी हुए। नाराज़गी यहाँ तक रही की चुनाव में साइकिक के लिए वोट मांगने तक से मना कर दिया था । मगर एक बार फिर अखिलेश के आत्मविश्वास की विजय हुई उन्होंने कहा था कि पापा प्रचार करेंगे और हुआ भी ऐसा ही तो शुरुआत से अभी तक अगर देखा जाये तो अखिलेश ने अब तक जो चाहा और जो सोचा वो उनको पाने में सफलता भी मिली है।
अब देखना यही होगा की जिस तरह अखिलेश चुनाव में जीत को लेकर अपने विकास के मुद्दे पर जनता से जो वोट मांग रहे उसमे वो कितने सफल हो पाते है क्या इस चुनावी परिणाम में भी उनके आत्मविश्वास की जीत होगी या आंतरिक कलह उनके मनसूबे पर पानी फेर देगी इस सवाल का जवाब अभी से दे पाना काफी मुश्किल काम है पर अभी तक अखिलेश ने जो चाहा वो पाया है तो इससे तो यही लगता है कि अखिलेश के सितारे बुलंद चल रहे है।