लखनऊ, दीपक ठाकुर । ये जो सवाल है ये आप सभी से पूछना बड़ा लाज़मी हो गया है क्योंकि हर बार ये देखा गया है कि 26 जनवरी हो या 15 अगस्त उस दिन से पूर्व से ही पूरा देश देश प्रेम के रंग में डूबा नज़र आता है जगह जगह देश भक्ति के गानों की गूंज और लहराता तिरंगा झंडा ह्रदय को अजीब सी ख़ुशी देता है मानो ये ऐसा त्यौहार हो जो ज़िन्दगी का सबसे अहम हिस्सा सा बन गया हो।
पर ये सारी ख़ुशी उस वक़्त धूमिल नज़र आने लगती है जब हम अपने देश के झंडे को इस तरह सड़क पर या कहीं भी गिरा पड़ा हुआ देखते है तभी ज़हन में ये सवाल आता है कि जो देश के झंडे का गौरव नहीं रख सके वो क्या देश का मान बढ़ाएंगे।
आज हम 68 वां गणतंत्र दिवस मना रहे है ये हमारे देश के लिए बड़े गर्व की बात है कितने जवानों की शहादत के बाद हमने ये शुभ अवसर प्राप्त किया है हमने देखा है कि अपने देश के झंडे की आन बान और शान बनाये रखने के लिए सेना के जवान 24 घंटे डटे रहते है ताकि कोई हमसे ये पर्व छीन ना ले हम अपने बच्चों को देश प्रेम का पाठ भी पढ़ाते है पर तिरंगे को सिर्फ खिलौना नहीं समझना चाहिए ये कोई क्यों नहीं समझता ना किसी को समझाता है।
स्कूल की नाली में पड़ा ये वही तिरंगा झंडा हमसे सवाल कर रहा है जो अभी कुछ घंटे तक तो किसी बच्चे के हाथ की शोभा था पर स्कूल में जैसे ही कार्यक्रम खत्म हुआ ये झंडा भी अपनी ख्याति खो गया।।
यहाँ ये तो एक ही तस्वीर है जो हमको मिली है पर ऐसे तमाम दृश्य आपको हर गली मोहल्ले सड़कों पर कमोबेश मिल ही जायेंगे जहाँ हमारे देश का गौरव ऐसी असहाय अवस्था में पड़ा मिलेगा।।
इस विषय में सरकारी तंत्र को गंभीरता से सोचना चाहिए ताकि कोई भी देश की आन बान और शान के प्रतीक हमारे झंडे का अपमान ना कर सके।।।
झंडा फहराएं इसमें आपत्ति नहीं है ये गौरव की बात है पर इसका इस तरह अपमान करना बड़े शर्म की बात है।।