लखनऊ, दीपक ठाकुर। खबरों पे यकीन किया जाए तो ऐसा लगता है कि जिस तरह एसटीएफ ताबड़तोड़ छापे मार कर पेट्रोलपम्पों को सीज कर रही है उसमें कहीं ना कहीं कुछ कमी ज़रूर है वो कमी इस बात को लेकर नही है कि छापे में कोई लापरवाही बरती जा रही है बल्कि कमी इस बात को लेकर है कि आम पब्लिक की नज़र में जो पेट्रोल पम्प काला बाजारी करते थे उन तक एसटीएफ क्यों नही पहुंच पा रही है क्या एसटीएफ पर कोई दबाव है या उनका ऐसा मानना है कि लोग अच्छे हैं तो काम भी अच्छा ही होगा अगर ऐसा है तो यहां सोच बदलने की ज़रूरत है क्योंकि व्यापार करने के हर हतकंडे हर व्यापारी अपनाता है जिससे उसको मुनाफा ज़्यादा हो।
हम लखनऊ की ही बात करते हैं यहां कई पेट्रोलपम्पों पर छापे मारी की गई कुछ को सीज किया गया तो कुछ को क्लीन चिट दे दी गई ऐसा क्यों हुआ ये एसटीएफ बेहतर जानती है क्योंकि मशीनों से चिप तलाशने का काम वही कर रही है और उसके कार्य पर संदेह करना भी बेवकूफी के सिवा कुछ नही हो सकता।पर सवाल आमजनता का अभी भी वही है कि वो लोग क्यों बेदाग साबित हो रहे हैं जो पब्लिक की नज़र में गलत थे और अभी भी आप उन लोगों तक क्यों नही पहुंच पा रहे हैं जिनका बड़ा नाम और बड़ा औदा हो गया है ऐसा करके आप अपने स्वछ मिशन को धूमिल क्यों कर रहे हैं ये आम जनता जानना चाहती है।
और एक बात वो ये के पेट्रोलपम्प को चेक करने में आप जिस चिप की तलाश में है उसे तो जारी रखिये और सभी को एक ही नज़र से देखिए मगर चिप के अलावा भी इसमें कई खेल हैं उनपर भी गौर करिये ताकि आम जनता खुलेआम हो रही इस लूट से बच सके।