लखनऊ, दीपकठाकुर, न्यूज़ वन इंडिया। 8 सितम्बर यानी आज से ठीक 7 दिन पहले गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में मासूम प्रद्युम्न की निर्मम हत्या के तीन घण्टे बाद हरियाणा पुलिस ने जिस तरह कन्डक्टर अशोक को कटघरे में खड़ा किया उससे पुलिस की अपराधियों के साथ संलिप्तता की बू आने लगी है।
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पुलिस जिसे हत्यारोपी बताकर मीडिया के सामने लाई है अब उसी के घरवालों ने ये खुलासा किया है कि अशोक को टार्चर कर गुनाह कुबूल करने का दबाव बनाया जा रहा है जिसके चलते उसने ये गुनाह अपने सर लिया है।अशोक की पत्नी और भाभी ने अशोक से हुई मुलाकात के बाद मीडिया को जो बताया वो काफी चौकाने वाला तथ्य था उन्होंने कहा कि घटना के बाद अशोक को कहा गया कि वो ये कुबूल करे कि ये हत्या उसी ने की है उसके मना करने पर उसके निजी अंगों पर चोट के साथ इलेक्ट्रिक शॉक भी दिया गया जिसके बाद अशोक एक तैयार की गई स्क्रिप्ट के साथ मीडिया के सामने लाया गया।
हालांकि अशोक के मीडिया के सामने ढ़िये गए इकबालिया बयान के बाद से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि दाल में कुछ काला ज़रूर है।ज़रूर किसी बड़े को बचाने के लिए उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है इसी आशंका के चलते ही घरवालों ने भी पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग भी की थी मगर परिवार वालों के इस बयान से ये बात और भी पुख्ता हो गई है कि हरियाणा पुलिस अपराधी को शरण दे रही है।
वैसे तो पुलिस अशोक को ही हत्यारा ठहरा चुकी है और उसी थ्योरी पर अपनी कार्यवाही भी कर रही है मगर जिस तरह इस हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और खुद कोर्ट ने पूरे मामले का संज्ञान लिया उससे यही लगता है कि आने वाले दिनों में यहां भी पुलिस की फ़जीहत होने वाली है क्योंकि हर कोई असली हत्यारे को जानना चाहता है मगर पुलिस उसे बचाने के लिए अपना खेल खेल रही है।
जिस प्रकार से हमारी सर्वोच्च न्यायालय अपनी अधिकार क्षेत्र का उचित इस्तेमाल करते हुए कई प्रकार के नए कानून अथवा आदेश पारित कर चुकी है।
उदाहरण
1. जैसे कि एक ही ड्राइविंग लाइसेंस से आप समान कैटेगरी के निजी या व्यावसायिक दोनो वाहन चला सकते हैं।
2. तीन तलाक पर फैसला इत्यादि।
ठीक उसी प्रकार आज इस बदलते (विकासशील) भारत को अब केवल सर्वोच्च न्यायालय से ही आस है वह एक और अहम एवं कड़े कानून/आदेश को पारित करने की कृपा करें हमारे राज्यों की पुलिस के खिलाफ।
क्योंकि पहले मैं थोड़ा सोच रहा था कि कन्डक्टर अशोक ने नन्हे बच्चे प्रद्युम्न का कत्ल किया है या नही काफी चीजो पर गौर किया भला वो कत्ल करके वहाँ क्यों रुकता, सुबह सुबह चाकू जेब में लेकर क्यों घूमता, और फिर बच्चे को गाड़ी तक गोद में उठा कर क्यों लाता, और सबसे बड़ी बात एकदम गुनाह कैसे काबूल लेता, और मारता तो उस बच्चे को क्यों मरता जो उसकी बस में आता ही नही था, ठीक है हमारी हरयाणा की दिलेर पुलिस ने कन्डक्टर के बयान पर यकीन कर भी लिया कि “मैं बाथरूम में कुछ गलत काम कर रहा था जो प्रद्युम्न ने आकर पीछे से मुझे देख लिया और मैंने उसकी हत्या कर दी”
अब जरा हरयाणा के पुलिस कमिशनर से जवाब मांगा जाए कि क्या आपको इस बयान पर जरा सा भी शक नही हो रहा है।
मुझे तो ये बयान गले से नीचे नही उतर रहा मतलब बिल्कुल यकीन नही हो रहा है क्योंकि किसी भी toilet में दो काम किये जाते हैं पहला पेशाब तथा दूसरा शौचं ओर दोनो कामों के लिए प्रत्येक सार्वजनिक (स्कूलों में भी) बाथरूम या टॉयलेट में दो अलग जगह होती है पहला urinal जो कि खुले में बनता है दूसरा toilet sheet (पॉट) जो कि दरवाजा बंद चारदीवारी में बनता है।
अब चलो अगर मैं भी लें कि कन्डक्टर को सुबह सुबह गलत काम करना था (masterbasin) तो भी वो दरवाजे को बंद करके करता। सब झूठ है सच्चाई CBI बाहर लाएगी।
लेकिन ऐसा कब तक क्या हर एक केस के लिए हमें CBI की आवश्यकता पड़ेगी मोबाइल कोई चुरा ले तो पुलिस कहती है कि गुम हो जाने की रिपोर्ट लिखा दो, घर में कोई चोरी कर जाए तो उल्टा शिकायत करता को ही डराती है कि आप शरीफ आदमी हो कहा केस करके इन चोरों के मुँह लगोगे खतरनाक लोग होते हैं आज चोरी की है कल को बाहर आके मर्डर न कर दे। और मुरजीमो को छोड़ देती है और बेगुनाह को फँसा देती है। मै ये नही कहता कि हर केस में ऐसा करती है पर हैं गरीबों एवं मिडिल क्लास लोगों के लिए तो पुलिस का रवैया 50% से ज्यादा ग़ैरकानूनी ही रहता है duty powers का मिसयूज़ करना और अगर पकड़े भी गए तो डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी के नाम पर खानापूर्ति क्योंकि इनके अधिकारी भी तो इनके जैसे ही काम करते है सभी नही लेकिन बहुत से पुलिस वाले।
अब शायद माननीय सर्वोच्च न्यायालय इस बात को ध्यान में रखते हुए कुछ सख्त कानून पारित कर दे कि इस देश में रहने वाले 80 फीसदी लोग गरीब या मिडिल क्लास है और उनके न जाने कितने प्रद्युम्न के हत्यारे पुलिस की ही वजह से कानून की शिखास्त से बाहर है।
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एक नागरिक